सिहोरा (जितेंद्र पटेल) : वर्तमान परिदृश्य में बढ़ती महंगाई के कारण आवास योजना लाभार्थी के लिए घर बनाना एक चुनौती बन गया है। क्योंकि घर बनाने के लिए आवश्यक सभी वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है। वस्तुओं की कीमतें बढ़ी हैं लेकिन आवास योजना अंतर्गत मिलने वाली सहयोग राशि अब लाभार्थियों का सिर दर्द बना क्योकि अब इतने से रुपयोंमें घर बनाना कसरत का काम है । वही मिल रही आवास योजना की राशि को लेकर पंचायत समिति के सदस्य सुभाष बोरकर ने इस फंड में बढ़ोतरी की मांग की है. प्रधानमंत्री आवास योजना, जो सरकार के महा आवास अभियान के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध है, जिसमें 1,30,000 रुपये और मजदूर वेतन 18,000 ऐसे मिलाकर कुल 148,000 रुपये है. इसमें भी घर का काम करने से लेकर पैसे जमा होते तक कई छोटे-बड़े कर्मचारियों को राशि चुकानी पड़ती है “निर्माण सामग्री की बढ़ी हुई वस्तुओं की कीमतों में लोहे के लिए 7,200 रुपये प्रति क्विंटल, सीमेंट के लिए 360 रुपये प्रति बोरी,4500 रुपये प्रति क्विंटल है। रेत के लिए2500 ट्रैक्टरों चुकाने पड़ते है। अब मकान बनाने की लागत ईंटों के लिए 40,000 रुपये, सीमेंट के लिए 50,000 रुपये बदरी के लिए 20000 रुपये रेत के लिए 10000 से 15 हजार रुपये । 80,000 से 90,000 हजार रुपये खर्च बेलदार के लिए एवं अन्य सामग्री अलग हैं जो घर बनाने के काम आती है । आसमान छूती कीमतों वृद्धि से और लगने वाली लागत उपलब्ध धनराशि से अधिक है, जब सरकार न्यूनतम आवास निधि को 148000 से बढ़ाकर 3.50 लाख कर देगी.और तबही। आवास योजना लाभार्थी के लिए घर बनाना संभव हो सकता है।बढ़ती मजदूरी के सामने, मजदूर राशि पर्याप्त नहीं है, इसलिए 1.5 लाख रुपये में घर बनाना संभव नहीं है और निर्माण एक चुनौती है। क्योंकि घर बनाने वाला गरीब, जरूरतमंद वर्ग का है.ऐसे में सरकार इस फंड से मिलने वाली पहली किश्त सिर्फ 20,000 रुपये मिलती है. जिसमे मकान बनाने का कार्य शुरू करना भी एक बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है. इसके बाद में आने वाली क़िस्त के पैसे के लिए इंतजार करना पड़ता है।कई घर के काम अभी भी अधूरे हैं और उन्हें खुले में रहना पड़ रहा है। जिस के लिए पंचायत समिति के सदस्य सुभाष बोरकर और नंदू रहांगडाले ने मांग की है कि सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में आवास बनाने में लगने वाले खर्चे के मुद्दों को देखते निधि बढ़ाए।