तहसील की प्रतिष्ठित माने जाने वाले वाकोडी ग्रामपंचायत के राजनीतिक हलकों की नजर इस बात पर है कि, ग्राम पंचायत चुनाव में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा यह कह पाना अभी भी संभव नहीं है. कल होने वाले इस चुनाव में तीन गुटों ने अपने-अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारकर मतदाताओं को रिझाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ रहे.
ग्राम वाकोडी का यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है की, गांव सुनील केदार के कट्टर समर्थक तथा कांग्रेस के पूर्व उपसभापति प्रकाश पराते तथा भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला परिषद सदस्य देवीदास मदनकर का पैतु्क गांव होने के साथ ही राजनीतिक दृष्टि से यह तहसील का एक महत्वपूर्ण गांव है. ग्राम पंचायत चुनाव में इस गांव में कार्यकर्ताओं में आपसी अनबन के चलते कांग्रेस के दो गुट हो गये. ऐसे में मतदाता असमंजस में हैं कि असली कांग्रेस कौन सी है, साथ ही बीजेपी समर्पित गठबंधन ने भी अपने उम्मीदवार मैदान में उतारकर कड़ी टक्कर दे रहे हैं. ऐसे में यहां त्रिकोणीय मुकाबला होना तय माना जा रहा है. नतीजों के बाद साफ हो जाएगा कि मतदाता किसे पसंद कर आगामी पांच वर्ष के लिए अपने गांव की बागडोर सौपते है. फिलहाल हर पैनल और उम्मीदवार जोर-शोर से प्रचार कर मतदाताओं से अपने पक्ष में वोट देने की मांग कर रहे हैं.
ग्यारह सदस्यीय वाकोड़ी ग्राम पंचायत का सरपंच पद फिलहाल सामान्य महिला के लिए आरक्षित है. इसमें ग्राम विकास पैनल अघाड़ी से शशिकला पुरुषोत्तम खोरगडे हैं. भाजपा समर्पित पैनल से रूपाली प्रभाकर कोहले. ग्राम विकास एकता पैनल से अर्चना रूपेश टेकाडे. ये तीन महिलाएं सरपंच पद के लिए खड़ी हैं और 11 सदस्य पद के लिए 40 उम्मीदवार मैदान में हैं. 1543 पुरुष और 1458 महिला (महिला) कुल 3371 मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. फिलहाल ग्रामविकास परिवर्तन पैनल के विधायक सुनीलबाबु केदार के कट्टर समर्थक, पूर्व पंचायत समिति उपसभापति प्रकाश पराते अपने विकास कार्यो द्वारा मतदाताओं को अपने ओर आकर्षित कर रहे है, वही पूर्व जिलापरिषद सदस्य देवीदास मदनकर जबकि ग्राम विकास एकता पैनल से सरपंच मनोहर जूनघारे, शांताराम खोरगड़े, प्रफुल्ल कुहिटे अपने-अपने पैनलो का नेतृत्व कर अपने प्रत्याशी विजयी होने का दावा रहे हैं.
आज होगी कत्ल की रात
मतदान से एक रात पूर्व को कत्ल की रात भी संबोधित किया जाता है. यह वह रात होती है जब इसकी सुबह होती है, तो नजारे ही कुछ और होते है. इस रात के अंधेरे में नये पुराने गीले शिकवे, आपसी मनमुटाव, रंजिशे पल मे दुर होकर चित्र और परिस्थितियाँ बदलते देर नही लगती. इस कत्ल की रात का महत्व ही कुछ अलग है.