
ट्रंप के टैरिफ पर अदालत की रोक: क्या होगा आगे का असर?
अमेरिका की फेडरल अपील कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति को असीमित अधिकार नहीं दिए जा सकते और आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की शक्ति सीधे तौर पर उनके पास नहीं है। यह फैसला उस समय आया है जब ट्रंप बार-बार कांग्रेस की मंजूरी के बिना ही विदेशी सामान पर टैक्स लगाने का दावा कर रहे थे।
ट्रंप ने 1977 के इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) का हवाला देकर कई देशों पर भारी शुल्क थोपे थे और व्यापार घाटे को “राष्ट्रीय आपातकाल” घोषित किया था। हालांकि, अदालत ने बहुमत से दिए गए फैसले में साफ किया कि इस कानून के तहत राष्ट्रपति को टैक्स या टैरिफ बढ़ाने का असीमित हक नहीं है।
हालांकि अदालत ने तुरंत शुल्क खत्म करने का आदेश नहीं दिया, जिससे ट्रंप प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का समय मिल गया। कोर्ट ने 14 अक्टूबर तक टैरिफ यथावत रखने की अनुमति दी है।
अगर भविष्य में ये टैरिफ पूरी तरह रद्द हो जाते हैं तो अमेरिकी ट्रेजरी को अरबों डॉलर वापस लौटाने पड़ सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से ट्रंप की दबाव बनाने की रणनीति कमजोर होगी और विदेशी सरकारें अमेरिका के खिलाफ ज्यादा सख्ती से खड़ी हो सकती हैं।
ट्रंप ने कोर्ट के आदेश पर नाराजगी जताई है और कहा है कि यह फैसला अमेरिका को “नुकसान” पहुंचा सकता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई ले जाने का ऐलान किया है। अब देखना यह होगा कि अंतिम फैसला किस दिशा में जाता है और अमेरिकी व्यापार नीति पर इसका क्या असर होता है।