5 मंत्रियों के लिए अशुभ रहा है मुंबई का ये आलीशान बंगला, अब जिसे मिला वो लेने को तैयार नहीं

चंद्रशेखर बावनकुले रामटेक बंगला नहीं लेना चाहते हैं. मालाबार हिल के इस आलीशान बंगले में रहने वाले अब तक 5 मंत्रियों का भविष्य सियासी भंवर में फंस चुका है. कहा जा रहा है कि यही डर बावनकुले को भी सता रहा है.
देवेंद्र फडणवीस ने विभाग बंटवारे के बाद सभी मंत्रियों को बंगला भी आवंटित कर दिया है, जिसके बाद मुंबई के सियासी गलियारों में रामटेक बंगला फिर सुर्खियों में आ गया है. सरकार की तरफ से यह बंगला कद्दावर मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को दिया गया है, जिसको लेकर बावनकुले नाराज बताए जा रहे हैं.

कहा जा रहा है कि बावनकुले यह बंगला नहीं लेना चाहते हैं. फडणवीस कैबिनेट में राजस्व मंत्री बावनकुले महाराष्ट्र बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं.

मालाबार हिल में स्थित है रामटेक बंगला

मुंबई का सबसे पॉश इलाके में मालबार हिल की गिनती होती है. इसे मुंबई की रानी भी कहा जाता है. मालबार हिल में फिल्म इंडस्ट्री और देश के बड़े उद्योगपतियों का घर है. यहीं पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन का भी घर है. राज्य के राज्यपाल के लिए भी यहां घर बनाया गया है.

रामटेक बंगला भी मालबार हिल में ही स्थित है. 2010 में 43 लाख रुपए खर्च कर इस बंगले को सजाया गया था. तब यह बंगला खूब सुर्खियों में आया था. यह बंगला 8,857 वर्ग मीटर में फैला हुआ है.

फिर बंगला क्यों नहीं लेना चाहते बावनकुले?

सवाल उठ रहा है कि फिर चंद्रशेखर बावनकुले यह बंगला क्यों नहीं लेना चाहते हैं? आधिकारिक तौर पर इसको लेकर अभी तक कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन बंगला का पनौती होना इसकी बड़ी वजह बताई जा रही है. इस बंगले में अब तक जितने भी नेता रहे हैं, उनकी कुर्सी सुरक्षित नहीं रही है. फेहरिस्त में विलासराव देशमुख से लेकर दीपक केसरकर तक का नाम शामिल है.

1. 1993 में शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनाए गए. कैबिनेट में लातूर विधायक विलासराव देशमुख को भी शामिल किया गया. देशमुख को सरकार में राजस्व और मेडिकल एजुकेशन जैसे बड़े विभाग दिए गए. बड़े विभाग मिलने की वजह से देशमुख को रामटेक बंगला आवंटित हुआ. वे इसमें रहने भी गए लेकिन 1995 में उनके साथ खेल हो गया. 1995 में देशमुख खुद की ही सीट हार गई. इस साल पवार की सरकार भी चली गई.

2. 1995 में गोपीनाथ मुंडे को रामटेक का बंगला आवंटित हुआ. मुंडे सरकार में डिप्टी सीएम थे. डिप्टी सीएम का बंगला होने की वजह से यह खूब सुर्खियों में रहा, लेकिन 1999 में बीजेपी-शिवेसना की सरकार ही चली गई. मुंडे भी इसके बाद राजनीतिक नेपथ्य में चले गए. 1999 के बाद 2014 में उन्हें केंद्र में मंत्री पद मिला.

3. 1999 में विलारसाव देशमुख और सुशील कुमार शिंदे की सरकार में छगन भुजबल डिप्टी सीएम बनाए गए. रामटेक का बंगला भुजबल को अलॉट किया गया. 2003 में तेलगी केस में भुजबल फंस गए. उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ गई.

4. 2010 में भुजबल फिर मंत्री बनकर महाराष्ट्र में लौटे. इस बार भी उन्हें यह बंगला आवंटित हुआ, लेकिन 2014 में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार चली गई. भुजबल पर ईडी का शिकंजा कस गया और उन्हें जेल जाना पड़ गया.

5. 2014 में देवेंद्र फडणवीस की सरकार में एकनाथ खडसे को यह बंगला आवंटित हुआ. खडसे सरकार में कद्दावर नेता थे. खडसे कुछ ही दिन इस बंगला में रहे कि उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लग गए. 2019 में खडसे का टिकट भी कट गया.

6. उद्धव ठाकरे की सरकार में छगन भुजबल को यह बंगला अलॉट हुआ, लेकिन सरकार ही 2 साल चल पाई. इसके बाद एकनाथ शिंदे की सरकार में दीपक केसरकर को रामटेक का बंगला दिया गया. शिवसेना के फायरब्रांड नेता केसरकर विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी फडणवीस कैबिनेट में शामिल नहीं किए गए हैं.

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