
लद्दाख के पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर लगे गंभीर आरोपों को लेकर उनकी पत्नी डॉक्टर गीतांजलि एंगमो सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि उनके पति किसी भी तरह से देशविरोधी नहीं, बल्कि हमेशा देश और लद्दाख के लोगों की भलाई के लिए काम करते रहे हैं।
गीतांजलि के अनुसार, सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लेकर जोधपुर जेल भेजा गया है। चार दिन बीतने के बाद भी परिवार को उनसे संपर्क नहीं कराया गया। उन्होंने चिंता जताई कि उन्हें अपने पति की सेहत की जानकारी तक नहीं मिल रही।
विदेशी डोनेशन विवाद
गीतांजलि ने स्पष्ट किया कि वांगचुक के हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लद्दाख (HIAL) पर लग रहे विदेशी फंडिंग के आरोप निराधार हैं। उन्होंने कहा कि उनके संस्थान को किसी प्रकार का डोनेशन नहीं मिला, बल्कि विदेश की यूनिवर्सिटीज़ ने उनकी रिसर्च को खरीदा था। जांच एजेंसियों – सीबीआई से लेकर इनकम टैक्स विभाग – सभी को जानकारी दी जा चुकी है और कोई गड़बड़ी साबित नहीं हुई।
एंटी-नेशनल टैग पर सवाल
उन्होंने तर्क दिया कि यदि सोनम वांगचुक राष्ट्रविरोधी होते, तो उन्हें पहले मैग्सेसे अवार्ड या सरकार द्वारा पद्म पुरस्कार क्यों दिए जाते। गीतांजलि के मुताबिक, “आज तक 60 भारतीयों को मैग्सेसे अवार्ड मिला है, जिनमें से 20 को भारत सरकार ने पद्म सम्मान भी दिया है। तो क्या सरकार एंटी-नेशनल को सम्मान देती है?”
राजनीति से दूरी
गीतांजलि ने यह भी स्पष्ट किया कि सोनम का राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं है। चुनाव के समय कई दल उन्हें अप्रोच कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने हर बार इसे ठुकरा दिया।
खुली बहस की चुनौती
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान या अन्य देशों से जुड़े सभी आरोप बेबुनियाद हैं और वह इस विषय पर किसी भी सार्वजनिक मंच पर खुली बहस के लिए तैयार हैं।
करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) और लेह अपेक्स बॉडी (LAB) का रुख
इधर, करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने ऐलान किया है कि वह और लेह अपेक्स बॉडी केंद्र सरकार से तब तक बातचीत नहीं करेंगे जब तक वांगचुक और अन्य गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को रिहा नहीं किया जाता और 24 सितंबर को हुई गोलीबारी की न्यायिक जांच शुरू नहीं होती।
उनकी मांग है कि लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाए और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए।