कामयाब रहा जलसा ए दस्तारबंदी और ऑल-इंडिया सुन्नी इज्तिमा 

नागपुर. अल-जामियतुर रज़विया दारुल उलूम अमजदिया ने अपने वार्षिक दीक्षांत समारोह दस्तार-ए-फज़ीलत व इफ्ता के साथ बाबा ताजुद्दीन लॉन, दरगाह बाबा ताजुद्दीन, ताजबाग, नागपुर में एक दिवसीय ऑल-इंडिया सुन्नी इज्तिमा का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान और विचारक, डॉ. सय्यद फज़लुल्लाह चिश्ती (एम.टेक गोल्ड मेडलिस्ट) रहे, जिन्होंने “वैश्विक समस्याएं और इस्लामी दृष्टिकोण में उनके समाधान” विषय पर एक प्रेरणादायक व्याख्यान दिया।
डॉ. चिश्ती ने बढ़ती आर्थिक असमानता, खासकर भारत में 1% अमीरों द्वारा 40% संपत्ति पर कब्जे की स्थिति पर चिंता जताई और सभी से गरीबी और भूख मिटाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की अपील की। उन्होंने खाद्य संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए वैज्ञानिकों से बेहतर भंडारण तकनीक विकसित करने की अपील की, ताकि इस्लाम के सिद्धांतों के अनुरूप खाद्य अपव्यय को कम किया जा सके।
समाज में लिव-इन रिश्तों के बढ़ते प्रभाव को नकारते हुए, डॉ. चिश्ती ने इसे समाज में अस्थिरता और अपराध का कारण बताया और विवाह को स्वस्थ समाज की नींव के रूप में प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। उन्होंने सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए युवाओं को सही जानकारी साझा करने से पहले उसे सत्यापित करने की सलाह दी।
इस जलसे में 72 मुफ्ती, क़ारी, हाफिज़ और आलिमों को उनके इस्लामी विद्वता में उपलब्धियों के लिए “सनद- प्रमाणपत्र” प्रदान किए गए। कार्यक्रम में मौलाना वकार अज़ीजी, मुफ्ती फैज़ अहमद मिस्बाही, मौलाना हस्सान मलिक नूरी और मौलाना मुज़म्मिल खान जैसे अन्य वक्ताओं ने भी भाग लिया और समाज सुधार पर इस्लामी सिद्धांतों के आधार पर चर्चा की।
कार्यक्रम के अंत में, मुफ्ती मुजतबा शरीफ खान अश’हरी, मुफ्ती-ए-आज़म महाराष्ट्र और दारुल उलूम अमजदिया के प्रिंसिपल ने संस्था के सभी समर्थकों का आभार व्यक्त किया और समाज में शिक्षा के माध्यम से बदलाव लाने का संकल्प लिया। इस कार्यक्रम ने वैश्विक और सामाजिक समस्याओं पर सार्थक चर्चा का मंच प्रदान किया, जिसमें इस्लामी दृष्टिकोण को समाधान के रूप में प्रस्तुत किया गया।

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