अप्रैल 2025 की शुरुआत में ही दिल्ली और उत्तर भारत के कई राज्यों में तापमान ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। 40°C से ऊपर पारा चढ़ चुका है और लू की लहरों ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। लोग छांव और ठंडे पानी की तलाश में हैं, लेकिन सवाल ये है – क्या ये केवल मौसम का मिज़ाज है, या फिर जलवायु परिवर्तन की गंभीर दस्तक?
तापमान की स्थिति
- दिल्ली: अधिकतम तापमान 43°C के आसपास, जो सामान्य से 5°C अधिक है।
- राजस्थान: जैसलमेर और बीकानेर में तापमान 45°C तक पहुंचा।
- उत्तर प्रदेश और हरियाणा: कई जिलों में गर्म हवाओं ने लू का रूप ले लिया है।
- पश्चिमी यूपी और पंजाब में खेतों में काम करना लगभग असंभव हो गया है।
गर्मी के कारण
- पश्चिमी विक्षोभ की कमी: इस मौसम में सामान्यत: जो बादल और बारिश राहत लाते हैं, वे इस बार नदारद हैं।
- स्थानीय हीटिंग: कंक्रीट जंगलों और वाहनों की संख्या में वृद्धि ने “हॉट स्पॉट्स” बना दिए हैं।
- जलवायु परिवर्तन: लंबे समय से वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग भारत में अत्यधिक गर्मियों और अनियमित मानसून का कारण बनेगी — यह उसी का संकेत हो सकता है।
जनजीवन पर प्रभाव
- बुज़ुर्ग और बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
- अस्पतालों में हीट स्ट्रोक, निर्जलीकरण और चक्कर आने के केस बढ़ रहे हैं।
- कृषि पर असर: खेतों में सिंचाई की मांग बढ़ी है, लेकिन पानी की उपलब्धता कम है।
- बिजली की मांग बढ़ी, AC और कूलर चलने से पावर कट की समस्या कई जगह उत्पन्न हुई है।
क्या करें इस भीषण गर्मी में?
अधिक पानी पिएं (नमक-नींबू का घोल बेहतर रहेगा)
दिन के सबसे गर्म समय (12PM–4PM) में बाहर न निकलें
हल्के, ढीले और सूती कपड़े पहनें
घर में खिड़कियों को ढककर रखें और फर्श को गीला रखें
बुज़ुर्गों और बच्चों का विशेष ध्यान रखें
सरकार और प्रशासन की भूमिका
सरकार ने कुछ क्षेत्रों में स्कूलों की छुट्टियाँ घोषित की हैं और नगर निगम द्वारा पानी के टैंकर, कूलिंग स्टेशन, और स्वास्थ्य शिविरों की व्यवस्था की जा रही है। लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है — जलवायु परिवर्तन की दीर्घकालिक रणनीति बनाना अब आवश्यक है।
निष्कर्ष
दिल्ली और उत्तर भारत में पड़ रही यह भीषण गर्मी एक चेतावनी है — प्रकृति कह रही है कि अब और नहीं सहा जाएगा। हमें अपने जीवनशैली, ऊर्जा उपयोग और पर्यावरण नीति में बदलाव करना होगा। नहीं तो आने वाले सालों में यह गर्मी नियम नहीं अपवाद बन जाएगी।