राज्य महिला आयोग में पिछले छह महीनों में वैवाहिक समस्याओं से संबंधित 1,883 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जबकि बलात्कार और सामाजिक समस्याओं के मामले भी लगभग 1,500 तक पहुंच गए हैं। माहिती अधिकार से प्राप्त विवरण में यह बात सामने आई है कि महिला आयोग के समुपदेशन और विधि शाखा में 1 अप्रैल 2024 से 31 अक्टूबर 2024 तक कुल 6,073 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से 5,966 मामलों का निपटारा किया गया, जबकि 1,808 मामले अभी भी लंबित हैं।
इस दौरान सबसे अधिक शिकायतें वैवाहिक समस्याओं से संबंधित थीं, जिनकी संख्या 1,883 रही। इसके अलावा, सामाजिक समस्याओं और बलात्कार के मामलों में 1,537 शिकायतें दर्ज की गईं। मालमत्ते के विवाद, कामकाजी जगहों पर लैंगिक उत्पीड़न और अन्य मामलों से जुड़ी शिकायतों का आंकड़ा भी काफी अधिक रहा।
विवादित मामलों की बढ़ती संख्या
राज्य महिला आयोग के समुपदेशन और विधि शाखा में 6,073 शिकायतों के अलावा, कुल 7,774 शिकायतों में से 5,966 मामलों का समाधान किया गया, लेकिन 1,808 मामले अब भी लंबित हैं। इनमें से 860 शिकायतें वैवाहिक समस्याओं से संबंधित हैं, जबकि बलात्कार और सामाजिक समस्याओं के 333 मामले, संपत्ति विवाद के 166, और कामकाजी स्थानों पर उत्पीड़न के 30 मामले अभी भी निपटारे का इंतजार कर रहे हैं।
यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि महिला आयोग पर दबाव बढ़ रहा है, खासकर उन मामलों में जिनमें गंभीर कानूनी और सामाजिक सवाल जुड़े होते हैं।
आयोग में रिक्त पदों की स्थिति
महिला आयोग में कई पदों पर रिक्तियां भी हैं। आयोग में 35 पदों में से 4 पद अभी भी भरे नहीं गए हैं। इनमें से उपसचिव का पद वर्ग ‘अ’ श्रेणी में रिक्त है। वर्ग ‘ब’ में प्रशासनिक अधिकारी और लेखा अधिकारी का पद भी खाली है। इसके अलावा, उच्च श्रेणी के लघुलेखक और अन्य सहायक कर्मचारियों के पदों पर भी रिक्तियां हैं।
इस मामले में आयोग ने बताया कि जल्द ही इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वर्तमान में इन रिक्त पदों को तात्कालिक रूप से बाहरी कर्मचारियों के जरिए भरा गया है।
सामाजिक कार्यकर्ता अभय कोलारकर द्वारा माहिती के अधिकार के अंतर्गत मांग गई जानकारी के बाद यह खुलासा हुआ है।सामाजिक कार्यकर्ता अभय कोलारकर ने इन बढ़ती शिकायत के लिए चिंता जताई और सरकार से महिला आयोग के कार्य को सुदृढ़ करने के लिए उचित कदम उठाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, “महिला आयोग की कार्यवाही और इसकी दक्षता दोनों की समीक्षा की जानी चाहिए ताकि शिकायतों का समाधान समय पर हो सके।”