हिंगनघाट।
श्री जैन श्वेतांबर पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट हिंगनघाट के तत्वावधान में चातुर्मास हेतु विराजमान प.पू. आचार्य महानन्द सूरीश्वरजी म.सा. एवं मुनि अभिषेक विजयजी म.सा. के सानिध्य में जैनों के पवित्र महापर्व ‘श्री पर्युषण महापर्व’ का शुभारंभ ‘वधामणा उत्सव’ के माध्यम से हुआ। जिसकी प्रस्तुती श्री पार्श्व किर्ती महिला मंडल ने दी। 8 दिवस चलने वाले इन प्रवित्रतम महापर्व के प्रथम दिवस के प्रवचन में पूज्य आचार्य ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी का संपुर्ण जीवन अहिंसामय, सौहार्दमय, निष्पक्षतापूर्ण, सभी जीवों के प्रति करूणायुक्त एवं क्षमा के भावों से ओतप्रोत वाला रहा है। पर्युषण महापर्वों के दिनों में सभी जैनी श्री महावीर भगवान के इन संदेशों को जीवन में अपनाकर दोषमुक्त जीवन जीने की कोशिश करते है। उनका यह कोशिश सृष्टि के लिए भी वरदान साबित होता हैं। क्योंकि इन दिनों जैन समाज इलेक्ट्रिसिटी, जल, हरि वनस्पतियों के त्याग एवं सुख-उपभोग के संसाधनों का स्वेच्छा से त्याग करके उन्हें संवर्धन करते है, उन्हें बचाते हैं जो सृष्टी के जीवों के लिए वरदान तुल्य होता हैं। आचार्य ने कहा कि प्रत्येक जैन ये आठों दिन 5 प्रकार के कर्तव्यों का पालन करके प्रभु के प्रति अपनी आस्था का परिचय देते है। अमारी प्रवर्तन यानी दु:खी जीवों को बचाना और हिंसा नहीं करना, स्वामीवात्सल्य यानी धर्मपूर्ण जीवन व्यतित करने वाले का सत्कार-बहुमान करना, क्षमापना करना यानी एक-दुसरे के साथ वैर, विरोध और वैमनस्यता को दूर करना, अट्ठम तप करना यानी तीन उपवास निर्जला अथवा सिर्फ गरम जल सहित करना, चैत्यपरिपाटी यानी सभी जिनेश्वरों के मंदिरों का दर्शन-पूजन के द्वारा आत्मा को पवित्र बनाना। कार्यक्रम में दिनेश कोचर, अनिल कोठारी, श्रीचंद कोचर, प्रदिप कोठारी, शिखर मुनोत, विजयसिंग मोहता, प्रकाशचंद कोचर, प्रसन्न बैद, शांतिलाल कोचर, पुखराज रांका, किशोर कोठारी, शांतीलाल गांधी, निर्मलचंद कोचर, गिरीष कोचर, नरेंद्र बैद, राजेश कोचर, देवेंद्र बोथरा, अभय कोठारी, मधुर लुनिया, प्रदिप बैद, कुशल कोचर, हेंमत कोचर, करण कोचर, धीरज मरोठी उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में समाज के सभी श्रावक एवं श्राविका ने सहयोग दिया। यह जानकारी राजेश अमरचंद कोचर ने दी।