
उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों बेहद दिलचस्प मोड़ पर है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव जहाँ बीजेपी सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं, वहीं उनके समर्थन में अप्रत्याशित रूप से कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह खड़े दिखाई दे रहे हैं।
राजनीतिक गलियारों में इस समीकरण को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। खासकर क्योंकि बृजभूषण, जिनका नाम लंबे समय तक विवादों में रहा है, अब सार्वजनिक मंचों से ऐसे बयान दे रहे हैं जो भाजपा के नैरेटिव को सीधे चुनौती देते हैं और कहीं न कहीं अखिलेश यादव को राजनीतिक लाभ पहुँचा रहे हैं।
भाजपा के लिए असहज स्थिति
बीजेपी, जहाँ एक ओर अखिलेश यादव को “विकास विरोधी” और “परिवारवाद की राजनीति” से जोड़कर जनता के बीच नैरेटिव बनाने की कोशिश कर रही है, वहीं बृजभूषण का रुख इस नैरेटिव को कमजोर करता दिख रहा है। भाजपा नेतृत्व के लिए यह स्थिति असहज इसलिए है क्योंकि बृजभूषण स्वयं पार्टी के सांसद हैं और उनके बयानों को विरोधी दल तुरंत हथियार बना रहे हैं।
अखिलेश के लिए फायदा
अखिलेश यादव को भी इस अप्रत्याशित समर्थन का पूरा राजनीतिक लाभ मिल रहा है। विपक्षी एकता के बड़े चेहरे के रूप में वे लगातार भाजपा पर हमलावर रहते हैं, लेकिन जब पार्टी के अंदर से ही कोई सत्तारूढ़ दल पर तंज कसता है, तो उनकी बात और ज्यादा असरदार हो जाती है। बृजभूषण के बयान उन्हें सीधे तौर पर “मजबूत प्रतिपक्ष” का चेहरा बनाने में मदद कर रहे हैं।
2024 और 2027 की राजनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बृजभूषण का यह रुख भविष्य की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में सपा-गठबंधन से कड़ी चुनौती मिली थी और आने वाले 2027 विधानसभा चुनाव में समीकरण और पेचीदा हो सकते हैं। ऐसे में बृजभूषण जैसे प्रभावशाली नेता की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, यह साफ है कि यूपी की राजनीति में बृजभूषण शरण सिंह इस समय सिर्फ एक सांसद नहीं बल्कि ऐसा “गेम-चेंजर” किरदार निभा रहे हैं, जो अखिलेश यादव की ढाल बनकर भाजपा के नैरेटिव की धार को कुंद कर रहे हैं। आने वाले समय में यह समीकरण किस करवट बैठेगा, यह देखने वाली बात होगी।