अमेरिकी हमलों के बाद ईरान की धमकी: होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने की योजना – दुनिया के लिए बड़ा खतरा!

हाल ही में अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हवाई हमलों ने मध्य-पूर्व में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। इन हमलों के जवाब में ईरान ने न केवल जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है, बल्कि दुनिया के सबसे अहम समुद्री मार्ग, होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद करने की धमकी भी दे डाली है। यह खबर वैश्विक तेल बाजार में भूचाल ला रही है और दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक बड़ा खतरा बनकर सामने आ रही है।

होर्मुज जलडमरूमध्य क्या है और क्यों है इतना महत्वपूर्ण?

होर्मुज जलडमरूमध्य, फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ने वाला एक संकीर्ण जलमार्ग है। यह रणनीतिक रूप से इतना महत्वपूर्ण है कि दुनिया के कुल तेल और प्राकृतिक गैस के एक बड़े हिस्से का परिवहन इसी रास्ते से होता है। अनुमान है कि वैश्विक कच्चे तेल की आपूर्ति का लगभग 20-30% और एक तिहाई एलएनजी (Liquefied Natural Gas) इसी जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। सऊदी अरब, इराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात और कतर जैसे प्रमुख तेल उत्पादक देश अपने अधिकांश तेल का निर्यात इसी मार्ग से करते हैं।

ईरान की धमकी का क्या होगा असर?

अगर ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के अपने मंसूबों में कामयाब होता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं:

  • तेल की कीमतों में भारी उछाल: वैश्विक तेल आपूर्ति बाधित होने से कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं। इससे पेट्रोल-डीजल महंगा होगा और महंगाई बढ़ सकती है, जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दबाव: तेल की कीमतों में वृद्धि से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, खासकर उन देशों पर जो तेल आयात पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जैसे कि भारत।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बाधा: जलडमरूमध्य बंद होने से समुद्री व्यापार में भारी बाधा आएगी, जिससे माल ढुलाई में दिक्कतें होंगी और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी।
  • भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि: ईरान का यह कदम क्षेत्र में पहले से ही तनावपूर्ण माहौल को और भड़का सकता है, जिससे बड़े संघर्ष की आशंका बढ़ जाएगी।

भारत पर क्या होगा प्रभाव?

भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा मध्य-पूर्व से आयात करता है, और इस आयात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वासन दिया है कि भारत की तेल कंपनियों के पास कई हफ्तों की आपूर्ति मौजूद है और वैकल्पिक मार्गों से तेल आयात को लेकर भी तैयारी पूरी है। हालांकि, लंबे समय तक जलडमरूमध्य के बंद रहने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर दबाव आ सकता है।

आगे क्या?

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने चीन से आग्रह किया है कि वह ईरान पर दबाव बनाए कि वह होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद न करे, क्योंकि यह “आर्थिक आत्महत्या” होगी। वाशिंगटन भी ईरान के साथ बातचीत के लिए तैयार होने की बात कह रहा है। दुनिया भर के देश इस स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं और किसी भी तरह की वृद्धि से बचने के लिए कूटनीतिक प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता है।

होर्मुज जलडमरूमध्य का बंद होना न केवल तेल बाजार के लिए, बल्कि पूरी दुनिया की स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा है। उम्मीद है कि समझदारी और कूटनीति से इस संकट को टाला जा सकेगा।

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