महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल की शुरुआत की है, जिसका नाम है ‘दहेजमुक्त महाराष्ट्र’ अभियान। यह अभियान शिवसेना महिला आघाड़ी के तत्वावधान में शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य समाज में दहेज प्रथा जैसी कुप्रथा को जड़ से खत्म करना और महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस अभियान की घोषणा करते हुए शिंदे ने भावनात्मक रूप से कहा, “महाराष्ट्र की हर बहू अब मेरी प्यारी बहन है।” यह बयान न केवल उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि इस अभियान के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है।
अभियान की पृष्ठभूमि
यह अभियान पुणे में वैष्णवी हगवणे की दुखद मृत्यु के बाद शुरू किया गया, जो कथित तौर पर दहेज उत्पीड़न के कारण हुई थी। इस घटना ने पूरे महाराष्ट्र को झकझोर कर रख दिया और समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ एक मजबूत आवाज उठाने की जरूरत को रेखांकित किया। शिंदे ने इस अभियान की शुरुआत शिवसेना के 59वें स्थापना दिवस के अवसर पर वरली में आयोजित एक कार्यक्रम में की, जहां उन्होंने अभियान का आधिकारिक लोगो भी लॉन्च किया।
अभियान के प्रमुख बिंदु
- महिलाओं का सशक्तिकरण: यह अभियान दहेज उत्पीड़न का शिकार होने वाली महिलाओं को कानूनी सहायता, सामाजिक समर्थन और जागरूकता प्रदान करने पर केंद्रित है।
- राज्यव्यापी पहल: अभियान की शुरुआत ठाणे के आनंद आश्रम से होगी और इसे पूरे महाराष्ट्र में शिवसेना शाखाओं के माध्यम से लागू किया जाएगा।
- सख्त कार्रवाई का आश्वासन: शिंदे ने कहा कि दहेज के लिए महिलाओं को परेशान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- सामुदायिक सहभागिता: शिवसेना महिला आघाड़ी इस अभियान को हर कोने तक ले जाएगी, ताकि दहेज से संबंधित मौतों को रोका जा सके और पीड़ित महिलाओं को न्याय मिल सके।
शिंदे ने अपने भाषण में कहा, “हर शिवसेना शाखा अब दहेज उत्पीड़न का शिकार होने वाली बहुओं के लिए पहला मायका बनेगी। हमारी महिला आघाड़ी यह सुनिश्चित करेगी कि हमारी बहनों को परेशान करने वालों को कड़ा सबक सिखाया जाए।”
सामाजिक प्रभाव
‘दहेजमुक्त महाराष्ट्र’ अभियान न केवल दहेज प्रथा को खत्म करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह समाज में लैंगिक समानता और महिलाओं के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने का भी प्रयास है। यह अभियान विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने पर ध्यान देता है, ताकि लोग दहेज के खिलाफ खुलकर बोल सकें। साथ ही, यह पीड़ित महिलाओं को एक सुरक्षित मंच प्रदान करता है, जहां वे अपनी बात रख सकें और न्याय प्राप्त कर सकें।
अन्य संगठनों की भागीदारी
यह उल्लेखनीय है कि एनसीपी (एसपी) ने भी सुप्रिया सुले के नेतृत्व में “दहेजमुक्त, हिंसामुक्त महाराष्ट्र” नाम से एक समान अभियान शुरू किया है। यह दर्शाता है कि दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ाई अब एक सामूहिक प्रयास बन रही है, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन हिस्सा ले रहे हैं।
निष्कर्ष
एकनाथ शिंदे का यह अभियान महाराष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उनका यह बयान कि “हर बहू मेरी प्यारी बहन है” न केवल एक नारा है, बल्कि एक ऐसी भावना है जो समाज में बदलाव लाने की क्षमता रखती है। यह अभियान निश्चित रूप से दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाएगा और पीड़ित महिलाओं को एक नया जीवन जीने का अवसर देगा।
आइए, हम सब मिलकर इस अभियान का समर्थन करें और एक दहेजमुक्त, समृद्ध महाराष्ट्र का निर्माण करें!