-नियम और शर्तों का पालन करना होगा, नागपुर निगम ने जारी किए आदेश
-अब अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए बेताब
नागपुर। (नामेस)।
कोरोना के हालात में सुधार के साथ ही जिले के ग्रामीण इलाकों में 5वीं से 12वीं तक और शहर में 8वीं से 12वीं तक के स्कूल सोमवार से शुरू हो जाएंगे। नागपुर नगर निगम ने गुरुवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए. नगर निगम के इस आदेश में कड़े नियम व शर्तों को देखते हुए अब स्कूलों को शिक्षा के साथ-साथ कोरोना से जुड़े नियमों का भी सख्ती से पालन करना होगा.
बता दें, कोरोना के चलते राज्य में मार्च 2020 से स्कूल बंद हैं. कोरोना की पहली लहर थमने के बाद नवंबर से दिसंबर के बीच स्कूल शुरू करने का निर्णय लिया गया था. स्कूल कुछ दिन शुरू भी हुए, मगर कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने पर स्कूल फिर से बंद कर दिए गए. कोरोना की दूसरी लहर के बाद, राज्य सरकार ने अगस्त से शून्य कोरोना रोगियों वाले ग्रामीण क्षेत्रों में 8वीं से 12वीं कक्षा तक के स्कूल शुरू करने का फैसला किया. फिर सभी क्षेत्रों में स्कूल शुरू करने की मांग की गई.
कोरोना के कारण पिछले डेढ़ साल से स्कूल बंद हैं. पहले तो अभिभावक भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं थे. लेकिन, घर में रहने से उनकी मानसिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था, तो अब मां-बाप का मिजाज भी बदल गया है. आॅनलाइन शिक्षा में विद्यार्थियों की भारी कमी को देखते हुए अभिभावक अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं.
इस तरह रखना होगा ध्यान
मनपा के आदेश में कहा गया है कि विद्यार्थियों को स्कूल जाने से पहले अपने माता-पिता की लिखित अनुमति लेनी होगी. विद्यार्थियों को उपस्थित होने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए. स्कूलों को यूनिफॉर्म भी ऐच्छिक रखना होगा. सुझाव है कि स्कूल में भीड़ न बढ़े, इसलिए अभिभावकों को स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए. स्कूल शुरू होने पर भी विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर रोक रहेगी. इसके अलावा स्कूलों में कोरोना नियमों का पालन हो रहा है या नहीं, इसकी भी शिक्षा विभाग नियमित जांच करेगा.
स्कूलों के लिए दिशा निर्देश
-शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए वैक्सीन की दोनों खुराक लेना अनिवार्य है.
– हो सके तो स्कूल में स्वास्थ्य क्लीनिक खोले जाएं.
-बच्चों के तापमान की नियमित जांच अनिवार्य हो.
-इच्छुक डॉक्टरों को माता-पिता की मदद लेनी चाहिए.
-सभी स्कूल स्वास्थ्य केंद्रों से संबद्ध होने चाहिए.
-कीटाणुशोधन के लिए आवश्यक वस्तुओं को उपलब्ध कराया जाना चाहिए.
-स्कूल बस या निजी वाहन से आने वाले विद्यार्थियों को एक सीट पर एक ही छात्र के बैठने की अनुमति होगी.
-कोई भी लक्षण पाए जाने पर विद्यार्थियों को स्कूल नहीं भेजा जाए.
संस्थाचालक अब कर रहे अनुदान की मांग!
4 अक्तूबर से स्कूल शुरू करने का निर्णय लेते ही स्कूलों ने उस दिशा में तैयारी शुरू कर दी है. लेकिन स्कूल शुरू करते समय विद्यार्थियों को सुविधा मुहैया कराने के लिए स्कूलों को अनुदान देने की मांग संस्थाचालक सरकार से कर रहे हैं. वर्ष 2013 में राज्य के 2005 से पहले के स्कूलों को अनुदान देने का निर्णय लिया गया था. इस निर्णय के बाद, वेतन के बाद की अनुदान शुरू किया गया था. इनमें स्कूल के रखरखाव और मरम्मत की लागत, भवन का किराया, बिजली की लागत, नगर निगम को भुगतान किए गए कर, परीक्षा लागत, कंप्यूटर, कार्यालय रखरखाव शामिल हैं. जिसके लिए, अनुदान दो से तीन वर्षों के लिए नियमित रूप से दिया जाता था. लेकिन, 2017 के बाद से, राज्य सरकार ने अनुदान देने में आनाकानी होने लगी. इसलिए स्कूलों को हर साल 400 करोड़ रुपये के हिसाब से पिछले पांच साल में 2,000 करोड़ रुपये नहीं मिले हैं.