गोंदिया।
नप के पूर्व पार्षद दिलीप गोपलानी को तत्कालीन जिलाधीश दीपक मीणा ने महाराष्ट्र उद्योग नगरी अधिनियम 1966 की धारा 44 अंतर्गत पार्षद सदस्य को अपात्र घोषित कर दिया था। इसके बावजूद गोपलानी पर नपा की दरियादिली दिखा कर उस पर मेहरबान है। उल्लेखनीय है कि जिस वजह से अवैध निर्माण कार्य और अतिक्रमण के कारण गोपलानी की सदस्यता चली गई है। उसके बाद भी उस जगह पर अतिक्रमण जस का तस बना हुआ है। इतना ही नहीं अवैध निर्माण कार्य भी तेजी से शुरू है। नप प्रशासन न जाने क्यों इस और अनदेखी कर रहा है। इस सब में विशेष बात है कि गोपलानी ने वर्तमान में जिस मकान में रह रहे है। उक्त मकान का वर्ष 2013 में प्रॉपर्टी टैक्स बकाया है। सन 2020 में उसके मकान की मौका ए जांच करने पर उन्होंने अवैध निर्माण किया है। इसके लिए उन पर टैक्स के तहत कार्रवाई भी की गई। जबकि इस रकम की वसूली के लिए अब तक कोई नोटिस नहीं दिया गया। जबकि नगर परिषद अधिनियम 1965 की धारा 45 का भी उल्लंघन है। इस नियम में आम सभा को जानकारी देकर सभा के समक्ष रखने का दायित्व मुख्य अधिकारी पर है। जिसकी जानकारी जिलाधीश को हर वर्ष जिलाधीश दी जाती है। हर वर्ष 3 बार दी जाती है। लेकिन 5 वर्ष में एक भी बार सूचना या प्रस्ताव जिलाधीश कार्यालय को नहीं भेजी गई। जिससे यह साफ होता है कि दिलीप गोप्लानी वह मुख्यधारा की मिलीभगत है। जिससे जिससे नगर पालिका प्रशासन पूरे शहर में चर्चा का विषय बना है।
रिट याचिका हो सकती है दायर-
दिलीप गोप्लानी के अतिक्रमण को तोड़ने वह अवैध निर्माण को रोकने (एमआरटीपी) एक्ट के नियमों के तहत फौजदारी नहीं करने के लिए किसके दबाव में है। यह विषय भी शहर में चर्चा में बना हुआ है। जिसकी वजह से गोपलानी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।उल्लेखनीय है कि आरटीआई कार्यकर्ता व बेबीनंदा बहुउद्देशीय क्रीडा वह सामाजिक विकास संस्था के सचिव महेश शयामकुमार वाधवानी ने नपा प्रशासन के रवैए के खिलाफ नागपुर हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल करने का मानस व्यक्त किया है। जिसमें वह प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ अपने कर्तव्य का पालन नहीं करने व पद का दुरुपयोग करने की वजह से फौजदारी कार्यवाही कर कार्रवाई कर तत्काल निलंबित करने की मांग करेंगे।