गोंदिया।
वास्तविक मालिक की जमीन का सातबारा किसान किसी फर्जी किसान के नाम पर ऑनलाइन कर ऐसे फर्जी किसानों से मिलीभगत कर अपना धान बड़े पैमाने पर सोसायटी मे बिक्री करने का खेल व्यापारी व दलाल कर रहे है। इस फर्जी यवस्था से सही किसान अपना खेती माल शासकीय आधारभूत धान खरीदी केंद्र पर बिक्री करने से वंचित रहेंगे। जिससे बड़ी संख्या में ईमानदार किसानों पर आर्थिक संकट टूट पड़ेगा। वहीं दूसरी ओर तहसील में पूर्ण धान खरीदी बिक्री घोटाले होने के संकेत दिखाई दे रहे हैं। विशेष बात यह कि जिन नई सोसाइटी को धान खरीदी केंद्र मिले हैं। वहां इस प्रकार की गड़बड़ी है बड़े पैमाने पर हो रही है। पहले ही धान खरीदी घोटाले के लिए बदनाम सालेकासा तहसील में गत वर्ष कुछ नए धान खरीदी केंद्रों को शासन ने मंजूरी दी थी।
बोनस की आधी रकम देने का करार-
व्यापारी खुद पटवारी या कोतवाल के साथ मिलीभगत कर सातबारा निकाल लेता है। उनके नाम पर धान बिक्री करता है। इसके बाद धान की चुकारे अपने साथ ले जाकर संपूर्ण रकम खाते से निकाल लेता है। बोनस की रकम आने पर उस में से आधी रकम उस फर्जी किसान को देता है। बिना परिश्रम के केवल सातबारा देने के बदले में बड़ी रकम उसे प्राप्त होती है। जिसे जितना संभव हो उतना सातबारा जमा करने के प्रयास किए जाते हैं।
ऑनलाइन केंद्रों पर व्यापारी का बोलबाला-
इसे अनेक धान व्यापारी हर दिन 150-200 सातबारा या खेती के गट व खसरा क्रमांक लेकर खरीदी केंद्रों पर ऑनलाइन सातबारा पंजीयन करते हैं। घंटों बैठकर अपने निकट वाले व्यक्ति व्यक्तियों के सातबारा ऑनलाइन करा लेते हैं। जब कोई किसान स्वतंत्र रुप से पहुंचता तो उसे दिनभर प्रतिज्ञा करनी पड़ती है। व्यापारी कुछ पैसे का लालच देकर अपना काम करा लेते हैं। जबकि गरीब किसान को व्यापारियों के पीछे लाचार बनकर घूमना पड़ता है। सभी ऑनलाइन केंद्रों पर आजकल व्यापारी का बोलबाला है।
धोखाधड़ी की अनेक घटनाएं तहसील में घटी है। इस व्यापारी की चालाकी से सही जमीन मालिकों को नुकसान हो रहा है। यह फर्जी के किसान ने तो उनके पिता का नाम होने पर भी उसकी मांलकी की जगह नहीं है फिर खुद के आधार कार्ड के साथ सातबारा ऑनलाइन कर डाला है। इसमें एक व्यापारी ने खुद उसकी मदद की है।