जातिवार जनगणना के मुद्दे पर जहां राजनीति एक बार फिर गरमाती दिख रही है, वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आखिरकार इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है. जातिवार जनगणना से समाज के सर्वांगीण विकास की उम्मीद है. लेकिन ऐसा करते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि देश की सामाजिक समरसता, अखंडता और सामाजिक समरसता प्रभावित न हो. उक्त विचार संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने व्यक्त किये.
शीतकालीन सत्र के लिए दो दिन पहले रेशिमबाग पहुंचे भाजपा और शिवसेना के विधायकों को संघ पदाधिकारियों ने मार्गदर्शन दिया. इसके बाद बोलते हुए विदर्भ प्रांत संघचालक श्रीधर गाडगे ने कहा कि जाति व्यवस्था पुरानी हो चुकी है. अगर इससे असमानता और विषमता बढ़ती है तो जनगणना की कोई जरूरत नहीं है.’ समाज में सामाजिक समरसता बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए. इसके चलते कुछ राजनीतिक दलों ने यह रुख जताया था कि संघ जातिवार जनगणना के खिलाफ है. जब देश के कुछ राज्यों में इस पर तरह-तरह के दावे-प्रतिदावे किए जा रहे थे, तब सुनील आंबेकर ने आखिरकार संघ का आधिकारिक पक्ष सामने रख दिया.