नई दिल्ली. बिहार में नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में आरक्षण का दायरा 60 से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है। इसको लेकर गुरुवार को विधानसभा में सर्वसम्मति से बिहार पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) संशोधन विधेयक 2023 तथा बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में) आरक्षण संशोधन विधेयक 2023 सर्वसम्मति से पारित हो गया है।
इसके अलावा तीन और विधेयक पारित हुए। विधानसभा में पारित आरक्षण विधेयक में कहा गया है कि जाति सर्वेक्षण के दौरान एकत्र किये गए आंकड़ों के विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि अवसर और स्थिति में समानता के संविधान में घोषित लक्ष्य को पूरा करने के लिए पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बड़े हिस्से को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य सरकार की सेवाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के सदस्यों का प्रतिनिधित्व आनुपातिक रूप से कम है। आनुपातिक समानता को प्राप्त करने के लिए उपायों और साधनों को प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है। इसी क्रम में आरक्षण का दायरा बढ़ाया जा रहा है। विधानसभा की दूसरी पाली में वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने आरक्षण संबंधी दोनों विधेयकों को पेश किया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि शुरू से देश में 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है। बाद में गरीब सवर्णों को भी दस प्रतिशत आरक्षण दिया गया। बिहार में हुई जातीय जाति आधारित गणना में विभिन्न जातियों की बढ़ती आबादी और उनकी आर्थिक स्थिति की जानकारी मिली। इसको देखते हुए निर्णय लिया गया कि आरक्षण का दायरा बढ़ाया जाएगा।
सभी पार्टियों की सहमति से फैसला
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि सभी पार्टियों की सहमति से फैसला लिया गया है। हमलोग केंद्र से मिलने गए थे, लेकिन मना कर दिया गया। फिर हम लोग ने सभी के साथ बैठक किया और सोच कर निर्णय किया। उन्होंने कहा कि 50 % पहले से आरक्षण था। फिर केंद्र ने 10 % सामान्य वर्ग के लिये दिया। हम लोगों ने उसे भी लागू किया। अब 15% और बढ़ा दिया गया है। इसके बाद अब राज्य में 75 % आरक्षण हो गया है।
आरक्षण का नया फार्मूला
– दलित- पिछड़ा वर्ग को 15 फीसदी अधिक कोटा
– अति पिछड़ा वर्ग को 07 फीसदी अधिक का लाभ
– पिछड़ा वर्ग को अब 6 फीसदी अधिक आरक्षण
– अनुसूचित जाति- जनजाति का कोटा 04 फीसदी बढ़ेगा
– आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों का कोटा 10 फीसदी ही रहेगा
– 25 फीसदी अनारक्षित सीटों के लिए चयन मेधा से होगा