मुंबई. कोविड के बाद इन्फ्लूएंजा-ए के कई मामले रिपोर्ट हुए, खासकर एच3एन2। इस वर्ष (जनवरी से मई 2023 तक) राज्य में एच3एन2 के 518 केसेस रिपोर्ट हुए थे। मानसून में इन मरीजों के आंकड़े में 150 फीसदी का इजाफा हुआ है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वास्तव में संक्रमितों की संख्या और भी ज्यादा है। मानसून में केसेस बढ़ने के पीछे वायरस का प्रबल होना, उसका तेजी से फैलना, तापमान में गिरावट या फिर लोगों की इम्यूनिटी का कम होने की बात डॉक्टरों ने कही है। डॉक्टरों ने लोगों को चेताया है कि ठंड में ऊपरी श्वसन पथ का यह संक्रमण फिर से लोगों को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में लोगों को घबराने के बजाय सचेत रहने की आवश्यकता है। मुंबई सहित राज्य के लोगों में इन्फ्लूएंजा-ए के अंतर्गत आने वाले एच1एन1 (स्वाइन फ्लू) और एच3एन का संक्रमण बरकरार है।
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि 30 सितंबर तक इन्फ्लूएंजा-ए के कुल 2755 मामले रिपोर्ट हो चुके हैं। इसमें से 1700 मामले एच3एन2 के हैं। इससे साफ पता चलता है कि वायरस प्रबल है। हालांकि मानसून में एच1एन1 के मामले उतने नहीं बढ़े, जितना एच3एन2 के मामले दर्ज हुए हैं।
कब कितने केस मिले
जनवरी से मई तक स्वाइन फ्लू के 537 मामले थे, जबकि जून से सितंबर तक 366 लोगों में संक्रमण पाए गए हैं। जनवरी से मई तक एच3एन2 के 518 मामले रिपोर्ट हुए थे, जबकि जून से सितंबर तक 1334 केसेस रिपोर्ट हुए हैं। एच3एन2 का संक्रमण मानसून में ज्यादा लोगों तक फैला है। ब्रीच कैंडी अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. प्रतीत समदानी ने बताया कि मानसून के बाद अब सर्दी के मौसम में भी केसेस बढ़ सकते हैं।
मरीजों में पाए जाते हैं यह लक्षण
डॉक्टरों के अनुसार, मरीजों को सर्दी, खांसी, बुखार, बदन दर्द के लक्षण होते हैं। एक से ज्यादा बीमारियों से ग्रसित मरीजों में निमोनिया और रेस्पिरेटरी फेल्योर के लक्षण पाए गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है।
टेंपरेचर कम तो केसेस में इजाफा
डॉ. समदानी ने बताया कि मानसून में इन्फ्लूएंजा का ब्रेक आउट हुआ था। उसमें एच3एन2 बहुत सामान्य था। मेरा अनुभव कहता है कि जब भी तापमान में गिरावट होती है, तो इन्फ्लूएंजा के मामले बढ़ जाते हैं। बीच में काफी अच्छी बारिश हुई थी, तापमान भी कम हुआ था। इस बार टेस्टिंग होने के कारण इतने केसेस रिपोर्ट हुए हैं, लेकिन वास्तव में और भी मामले होंगे।
60 फीसदी पॉजिटिव केसेस
बॉम्बे अस्पताल के फिजिशियन डॉ. गौतम भंसाली ने बताया कि अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के केसेस अब भी रिपोर्ट हो रहे हैं। अब तक जितने एच3एन2 जांच हुए हैं, उसमें से 60 फीसदी लोग पॉजिटिव मिले हैं। यह वायरल बीमारी है। सभी का टेस्ट नहीं करते हैं। इस मानसून के दौरान तापमान कम या ज्यादा हो रहा था। ऐसे में इम्यूनिटी लो होते ही वायरल संक्रमण होने के चांसेस अधिक हो जाते हैं। आमतौर पर मरीज एक सप्ताह में ठीक हो जाता है।
अधिक ध्यान रखने की जरूरत
डॉक्टरों ने हाई रिस्क लोग यानी डायबिटीज, हाइपरटेंशन, अस्थमा, फेफड़े की बीमारी से जूझ रहे, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्गों को अपना ख्याल रखने के लिए कहा है।