मुंबई. इन दिनों राज्य की राजनीति में ताप बहुत ज्यादा बढ़ गया है। दरअसल अजित पवार और राज्य सरकार के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल जब से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने संरक्षक मंत्रियों की संशोधित सूची का ऐलान किया है। तब से उपमुख्यमंत्री अजित पवार की सरकार के साथ कथित तौर पर नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं।
हालांकि वहीं बीते मंगलवार को अजित पवार कैबिनेट मीटिंग से नदारद रहने के बाद, फिर गुरुवार को अपने मंत्रालय में बैठक की। बता दें कि मुख्यमंत्री शिंदे की तरफ से जारी की गई संशोधित सूची के मुताबिक उपमुख्यमंत्री अजित पवार को पुणे जिले के संरक्षक मंत्री का पद दिया गया है।
लेकिन देखा जाए तो डिप्टी सीएम अजित पवार सत्ता में हुए इस बंटवारे से नाखुश नजर आ रहे हैं। वहीं बीते जुलाई में एनसीपी से अलग होने के बाद सरकार बनाने वाले अजित पवार ने भी बीते मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। वहीं राज्य में कैबिनेट विस्तार में हो रही देरी भी उनकी नाराजगी की एक वजह है।
सूत्रों की मानें बीजेपी ने महामंडल बंटवारे का जो फार्मूला बनाया है, उसके अनुसार बीजेपी ने अपने लिए 50 तो शिंदे और अजित गुट के लिए 25-25 महामंडल देने की योजना बनाई है। हालांकि इसके लिए शिंदे और अजित गुट दोनों ही तैयार नहीं है। वहीं शिंदे गुट ने इसके उलट खुद के और अजित गुट के लिए 30-30 और बीजेपी के लिए 40 महामंडल देने का फार्मूला सुझाया है।
बीजेपी चुनाव से पहले नहीं गवाना चाहती है सत्ता
इन मुद्दों को देखा जाए तो फिलहाल बीजेपी किसी भी सूरत में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में सत्ता नहीं गंवाना चाहती है। इसलिए वह किसी भी तरह अजित पवार को मनाने की कोशिश जरूर की जाएगी। हालांकि इन सबके बीच शिंदे गुट का रुख भी देखने योग्य होगा। फिलहाल इस मुद्दे पर तगड़ा वैचारिक मतभेद है और इस पर जबरदस्त मंथन चल रहा है।