गांधी जिले में शराबबंदी करना मुमकिन ना हो तो निष्क्रिय प्रशासकीय अधिकारी, विधायक इस्तीफा दे, मृतक के परिवार को 10 लाख की धनराशि मिलने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करेंगे ऐसा निर्णय दारु मुक्ति आंदोलन समिति ने लिया है.
वर्धा गांधी जिले में शराबबंदी कानून 1949 अन्वये 1974 में दारूबंदी की गई. परंतु स्थानीय प्रशासन व लोकप्रतिनिधी तथा महाराष्ट्र शासन 49 साल में जिले में शराब बिक्री बंद करने में असफल रहे. इस निष्क्रियता के चलते दारू उत्पादक तथा शराब बिक्री करने वालों में सांठगांठ होने की आशंका शराब मुक्ति समिति ने की है. जो लोग दारू बंदी के लिए आगे आते हैं उन पर प्रशासन कार्यवाही करती है. 1 महीने पहले कवठा झोपड़ी के महिलाओं ने शराब बिक्री करने पर रास्ता रोको आंदोलन किया था. पर अब तक अवैध तरीके से शराब बिक्री करने वालों पर कार्यवाही की गई नहीं. आज जिला तथा ग्रामीण भागों में बड़े पैमाने पर शराब बिक्री हो रही है. इसीलिए निष्क्रिय शासन और प्रशासन के विरोध में मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दाखिल करने का निर्णय लेने की बात शराब मुक्ति आंदोलन के संयोजक भाई रजनीकांत इन्होंने बतायी.