जिला उद्योग केंद्र व राष्ट्रीयकृत बैंकों की मिलीभगत से जिले में बड़े पैमाने पर फर्जी लोन का वितरण किया जा रहा है। इस कार्य को बड़े ही सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है। इसके लिए जिला बैंक उद्योग केंद्र व राष्ट्रीयकृत बैंको के मॅनेजरों ने कुछ चुनिंदा दलालों की नियुकी कर रखी है। जिनके माध्यम से 5 लाख रुपये के लोन के लिए 1 लाख व 10 लाख रुपये के लोन के लिए सुशिक्षित बेरोजगार युवाओं से 2 लाख रुपये वसूल किए जाते है। इस संपूर्ण प्रकरण की जिल्हाधीश के माध्यम उच्चस्तरीय जांच की जाए तो जिले मे कर्ज के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आ सकता है।
जिला उद्योग केंद्र के माध्यम से पीएमईजीपी व सीएमईजीपी योजना अंतर्गत उद्योग- व्यवसाय करने के इच्छूक सुशिक्षित बेरोजगार युवाओं के प्रकरण कर्ज के लिए राष्ट्रीयकृत बैंकों में भेजे जाते है। लेकिन राष्ट्रीयकृत बैंकों के कुछ मॅनेजरों व जिला उद्योग केंद्र के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी लोन का धडल्ले से वितरीत किए जा रहे है। इसके लिए कर्जधारकों से 1 से 2 लाख रूपये खुलेआम वसूल किए जा रहे है.
इस प्रक्रिया से केंद्र व राज्य शासन के खजाने पर सबसीडी के माध्यम से डाका डाला जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इस बात का खुलासा आरटीआय के माध्यम हुआ है। इस प्रकरण की जानकारी जिलाधीश चिन्मय गौतमोर सहित राष्ट्रीयकृत बैंकों के विभागीय व्यवस्थापको को दी गई है। जिससे इस प्रकरण का खुलासा होकर अनेक अधिकारी दोषी पाए जाने की संभावना है.