भंडारा और गोंदिया जिलों में आदिवासी भाई बड़ी संख्या में मौजूद हैं और हर साल भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड राज्य में रांची के उलिहातू गांव में सुगना मुंडा और कर्मी हातु के घर हुआ था। एक अंग्रेजी स्कूल में शिक्षित बिरसा का आदिवासी समुदाय से लगाव था। उन्हें लगता था कि अंग्रेज हमारे समाज के साथ अन्याय कर रहे हैं। वहां से उन्होंने आदिवासी समुदाय के जुझारू युवाओं को एकजुट किया और अंग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ दी। 1897 से 1900 तक ब्रिटिश सैनिकों और आदिवासियों के बीच युद्ध हुआ। इसका नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया था। आदिवासी बिरसा को धरती बाबा के नाम से जाना जाता था। बिरसा और उनके सहयोगियों को 3 फरवरी, 1900 को गिरफ्तार किया गया था। बिरसा मुंडा की मृत्यु 9 जून, 1900 को रांची की एक जेल में हुई थी। तभी से बिरसा मुंडा की जयंती मनाई जाती है। भगवान बिरसा मुंडा की 147वीं जयंती के अवसर पर भंडारा तालुका के भोजापुर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर एक रैली निकाली गई और ध्वजारोहण, सांस्कृतिक कार्यक्रम और महाप्रसाद जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं आदर्श युवा मंच के अध्यक्ष एवं संस्थापक पवन मस्के ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया और युवाओं को क्रांतिसूर्या भगवान बिरसा मुंडा के प्रेरणादायक कार्यों को स्वीकार करने के लिए मार्गदर्शन किया। भोजापुरके युवाओं ने आयोजन की सफलता के लिए प्रयास किए। इस समय शुभम सिडाम, निशांत सलामे, उमेश वरखडे, देवानंद कंगाले, मदन मडावी, वसंता बोरकर, नितीन धुर्वे प्रियंका धुर्वे, जयश्री बोरकर, मंगला कुंभारे, ज्योती मडावी उपस्थित थे ।