नई दिल्ली. लगातार झटकों का सामना कर रही कांग्रेस फिर से पार्टी को मजबूत करने और सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटी हुई है. इसी सिलसिले में उदयपुर में कांग्रेस ने चिंतन शिविर का आयोजन किया था. इस चिंतन शिविर में चर्चा के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 6 अलग-अलग समितियां बनाई थी, जिनकी सिफारिशों पर शिविर में मुहर लगाई गई. तमाम बड़े फैसले हुए, लेकिन एक फैसला होते-होते टल गया. सूत्रों के मुताबिक, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष और यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा बरार की यूथ कमिटी ने सोनिया गांधी के सामने सिफारिश कर दी कि नेताओं के रिटायरमेंट की उम्र सीमा 65 साल निर्धारित की जाए.खास बात यह रही कि 65 साल की सीमा की सिफारिश को खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सहमति दे दी, जिसके बाद खलबली मचना लाजिमी था. हाल ही में हरियाणा संगठन में अपने मनमुताबिक फैसले कराने वाले भूपिंदर सिंह हुड्डा सरीखे नेताओं के तो होश ही उड़ गए. ऐसे में फिर लंबे विचार-विमर्श के बाद तय हुआ कि फिलहाल कांग्रेस के लिए अपने इस बुरे दौर में आनन-फानन में ये फैसला करना सही नहीं होगा. अचानक तमाम बड़े नेता जो इस वक्त अपने-अपने राज्यों में कमान संभाल रखा है, उनको फौरन घर बैठाना ठीक नहीं रहेगा. लेकिन रिटायरमेंट की उम्र को लेकर चर्चा गंभीर थी, खुद सोनिया गांधी का इसके हक में होना इस मसले पर दबाव बढ़ा रहा था. ऐसे में फिलहाल ये तय हुआ कि, इस मामले को तुरंत अमल में लाने के बजाय 2024 के लोकसभा चुनाव तक इसको टाल दिया जाए, उसके बाद आहिस्ता-आहिस्ता इस फैसले को लागू किया जाए, ये वरिष्ठों के लिए दो सालों का कूलिंग ऑफ पीरियड की तरह रहे.
कई दिग्गज नेता आ रहे थे उम्र की जद में
दरअसल, हरियाणा में हुड्डा हों, मध्य प्रदेश में कमलनाथ सिंह या दिग्विजय सिंह हों, हिमाचल प्रदेश में प्रतिभा वीरभद्र सिंह हों, सभी 65 पार के हैं. इसके अलावा अशोक गहलोत, पी. चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल सरीखे वरिष्ठ नेता इस सीमा की जद में आ रहे थे.