नागपुर। (नामेस)।
दो बार शहर के महापौर रहे तथा खेल, साहित्य और सामाजिक क्षेत्र के लिए समर्पित सरदार अटल बहादुर सिंह का शुक्रवार को निधन हो गया. वे 76 वर्ष के थे. सदर के शांति भवन अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. उनके निधन से नागपुर शहर के खेल, साहित्य और सामाजिक क्षेत्र को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. अटल बहादुर सिंह 14 फरवरी 1977 को पहली बार नागपुर के महापौर चुने गए थे. 14 फरवरी 1977 से 6 फरवरी 1978 तक महापौर के रूप में अपना पहला कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्होंने 1994 में एक बार फिर शहर का नेतृत्व किया. 3 फरवरी 1994 से 19 जनवरी 1995 तक सिंह दूसरी बार महापौर बने. वह इससे पहले 1974 में उपमहापौर रह चुके हैं. सिंह ने लोकमंच समूह का गठन किया. इस समूह के माध्यम से उन्हें मनपा में निर्दलीय के रूप में चुना गया था. उन्होंने पूर्व सांसद विलास मुत्तेमवार के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी की ओर से लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उस समय नागपुर मनपा के चार मुख्य स्तंभ माने जाते थे. सरदार अटल बहादुर सिंह, नाना श्यामकुले, हिंमतराव सरायकर और प्रभाकरराव दटके ने नागपुर मनपा का मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सरदार अटल बहादुर सिंह समय की पाबंदी के लिए भी जाने जाते थे. राजनीति के तमाम बड़े नेताओं से उनके अच्छे संबंध थे. वे नागपुर विश्वविद्यालय की राजनीति में भी प्रभावशाली थे. सरदार अटल बहादुर सिंह को शहर के पहले महापौर बैरि.शेषराव वानखेड़े की बेटी कुंदा विजयकर को शहर की पहली महिला महापौर बनाने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने गरीब छात्रों के लिए शेषराव वानखेड़े विद्यानिकेतन की शुरूआत की. नागपुर में मनपा की लाइब्रेरी शुरू करने की पहल की कर अपने कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने कई लाइब्रेरी शुरू किए. 2014 में उन्हें महाराष्ट्र सरकार द्वारा खेल के क्षेत्र में सर्वोच्च शिवछत्रपती जीवनगौरव पुरस्कार से गौरवान्वित किया गया.
सरकार से मुंह मोड़ने पर भी खड़े हो जाते थे ‘सरदार’
सरदार अटल बहादुर सिंह 1994 में दूसरी बार महापौर चुने गए. उसी वर्ष नागपुर शहर को एक बड़ी प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा. नागपुर में अत्यधिक स्तर के बाढ़ के खतरे की घोषणा की गई, जिसमें 10 से 12 लोगों की मौत हो गई. इस स्थिति में सरकार से कोई मदद नहीं मिलने पर उन्होंने शहर सच्चे ‘सरदार’ के रूप में काम किया. उन्होंने महापौर कोष बनाया था और नागपुर के सेवाभावी नागरिकों से मृतकों के परिवारों की मदद के लिए धन एकत्र किया था.
नहीं रही मनपा की छत्रछाया
नागपुर के पूर्व महापौर अटल बहादुर सिंह का निधन दुखद समाचार है. उनके जाने से मनपा की छत्रछाया खत्म हो गई. सरदार अटल बहादुर सिंह को सर्वकालिक महापौर के रूप में भी जाना जाता था. वह 30 साल तक नागपुर मनपा में दो बार महापौर और एक बार उपमहापौर रहे. उन्होंने विश्वविद्यालय की राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. वह खेल, साहित्य और सामाजिक कार्यों में हमेशा सबसे आगे रहते थे.
सर्वांगीण व्यक्तित्व के धनी अटल बहादुर सिंह
पिता इकबाल सिंह और माता उषा रानी के बेटे अटल बहादुर सिंह का जन्म 2 मार्च 1942 में हुआ था. उन्होंने एमए राजनीति विज्ञान तक शिक्षा ग्रहण की थी. लगभग 30 वर्षों तक वे 1977 और 1994 में दो बार महापौर रहे हैं और 1974 में सिल्वर जुबली वर्ष में उपमहापौर भी रहे हैं. विदर्भ महिला क्रिकेट, विदर्भ महाराष्ट्र हैंडबॉल, विदर्भ हॉकी, विदर्भ फुटबॉल, नागपुर फुटबॉल, एसोसिएशन के पदाधिकारी और खेल प्रेमी रहे हैं. एथलीटों को पुरस्कार प्रदान करने वाले वरिष्ठ खेल संयोजक और मार्गदर्शक रहे. उनका विश्वविद्यालय की राजनीति में भारी प्रभुत्व रहा. वे बलराज अहेर को गुरु मानते थे. स्थायी समिति के अध्यक्ष प्राचार्य हरिभाऊ केदार और महापौर अटल बहादुर महापौर सिंह नागपुर में राम-लक्ष्मण की जोड़ी के रूप में लोकप्रिय थे.
नागपुर ने व्यापक जनसमर्थनवाला
नेता खो दिया : विधायक व्यास
विधान परिषद सदस्य गिरीश व्यास ने कहा कि, पूर्व महापौर अटलबहादुर सिंह इनके निधन से नागपुर ने एक कल्पनाशील, व्यापक जनसमर्थनवाला, अनेक कामों को अलग-अलग तरीकें से साकार करने की अद्भुत क्षमता रखने वाला सर्वस्पर्शी असीम हितचिंतक आज नागपुर नगर ने खो दिया हैं। विद्यापीठ की राजनीति में जब वे सक्रिय थे। तब उनका संबंध उस क्षेत्र में तत्कालीन प्रोॅॅफेसर मेरे बड़े भाई नंदकिशोर व्यास के साथ था। वो मेरे बड़े भाई जैसे थे। उनके साथ 1985 से 1997 तक महानगर पालिका में, सभागृह में, क्रिड़ा, सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्र में मैने उनके साथ भरपूर काम किया है। मैंने अपना नजदीकी मित्र व पारिवारिक सदस्य खो दिया है।