4 दिनों तक क्यों मनाया जाता है पोंगल?

पोंगल दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्योहार है, विशेषकर तमिलनाडु में धूमधाम से मनाया जाता है. यह त्योहार नई फसल के आगमन का उत्सव है और सूर्य देवता की पूजा के साथ मनाया जाता है. पोंगल दक्षिण भारत के लोगों के लिए बहुत ही खास माना जाता है. पोंगल पर्व नई फसल के आगमन का उत्सव है.

किसान इस दिन सूर्य देवता को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने उन्हें अच्छी फसल दी. पोंगल के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है. मान्यता है कि सूर्य देव सभी जीवों को जीवन देते हैं. पोंगल के दिन पशुओं को भी पूजा जाता है, क्योंकि वे खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पोंगल को तमिल नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है.

4 दिनों तक क्यों मनाया जाता है पोंगल?
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पोंगल का पर्व इस साल में 14 जनवरी से शुरू होगा और 17 जनवरी तक चलेगा. यह पर्व खासतौर पर दक्षिण भारत के प्रमुख राज्यों जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में धूमधाम से मनाया जाता है. पोंगल चार दिनों तक मनाया जाता है, हर दिन का अपना अलग महत्व होता है.

मान्यता है कि पोंगल नई फसल का स्वागत करने का पर्व है. इस पर्व में सूर्य देव की पूजा की जाती है, क्योंकि वे जीवनदाता हैं. पशुओं को पूजा जाता है क्योंकि वे खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पोंगल परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का एक अच्छा अवसर है. पोंगल बनाने के लिए एक मिट्टी का बर्तन इस्तेमाल किया जाता है. पोंगल एक मीठा व्यंजन है जिसे चावल, दूध और गुड़ से बनाया जाता है.

भोगी:

पोंगल उत्सव का पहला दिन भोगी कहलाता है. इस दिन पुराने सामान को जलाकर नए साल का स्वागत किया जाता है.
सूर्य पोंगल: दूसरे दिन को सूर्य पोंगल कहा जाता है. इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है और नई फसल का आशीर्वाद मांगा जाता है.

मट्टू पोंगल:

तीसरे दिन मट्टू पोंगल मनाया जाता है. इस दिन पशुओं को पूजा जाता है क्योंकि वे खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
कानुम पोंगल: चौथे और अंतिम दिन को कानुम पोंगल कहा जाता है. इस दिन रिश्तेदारों और दोस्तों को आमंत्रित करके भोजन कराया जाता है.

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