“विविधता में एकता” का संदेश

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भारत दुनिया के उन चंद देशों में से एक है, जहां सांस्कृतिक, धार्मिक, भाषाई और भौगोलिक विविधता इतनी विशाल है, फिर भी यह एक मजबूत और एकजुट राष्ट्र के रूप में खड़ा है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यह “विविधता में एकता” का संदेश और भी गहराई से महसूस होता है। तिरंगे की छांव में देश के कोने-कोने से लोग एकजुट होकर अपने देश के प्रति सम्मान और गर्व व्यक्त करते हैं।

15 अगस्त को सुबह से ही देश के हर हिस्से में अलग-अलग भाषाओं में देशभक्ति गीत गूंजते हैं। उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम — हर जगह एक ही जोश और उमंग दिखाई देती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारी ताकत हमारी विविधता में छुपी है, और जब यह विविधता एकजुट होती है, तो इसका प्रभाव असीमित होता है।

दिल्ली के लाल किले से प्रधानमंत्री का संबोधन पूरे देश में एक साथ सुना जाता है, चाहे वह किसी भी भाषा में अनुवादित हो। स्कूलों और कॉलेजों में झंडा फहराने के कार्यक्रमों में बच्चे विभिन्न राज्यों की पारंपरिक वेशभूषा पहनकर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देते हैं, जो भारत की बहुरंगी पहचान को प्रदर्शित करती हैं।

यह एकता केवल उत्सव तक सीमित नहीं रहती, बल्कि हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि मतभेदों के बावजूद हम एक ही लक्ष्य के लिए काम कर सकते हैं — राष्ट्र की प्रगति और सुरक्षा। “विविधता में एकता” का संदेश हमें यह सिखाता है कि अलग-अलग विचार और परंपराएं मिलकर एक मजबूत लोकतांत्रिक ढांचा तैयार करती हैं।

स्वतंत्रता दिवस का यह संदेश आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता है कि भिन्नताओं को बाधा नहीं, बल्कि शक्ति के रूप में देखा जाए। जब हम अपने मतभेदों को भूलकर एक साथ खड़े होते हैं, तभी हम सच में अपने देश को स्वतंत्र, मजबूत और समृद्ध बना सकते हैं।

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