परिचय
हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर के बीच व्हाइट हाउस में एक अभूतपूर्व मुलाकात हुई। इस मुलाकात में ईरान-इज़राइल संघर्ष और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई। पाकिस्तानी सेना ने पुष्टि की है कि इस बैठक में दोनों नेताओं ने ईरान के साथ बढ़ते तनाव पर विचार-विमर्श किया और शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया।
मुलाकात का महत्व
यह पहली बार है जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख को, जो देश का राष्ट्राध्यक्ष नहीं है, व्हाइट हाउस में औपचारिक रूप से आमंत्रित किया। यह मुलाकात अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में एक बड़े बदलाव का संकेत देती है, जो पहले जो बाइडन और ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत के साथ मजबूत रणनीतिक साझेदारी के कारण कमजोर पड़ गए थे।
ट्रंप ने मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, “पाकिस्तान ईरान को बहुत अच्छी तरह जानता है, शायद सबसे ज्यादा, और वे खुश नहीं हैं।” यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि अमेरिका, ईरान के खिलाफ संभावित सैन्य कार्रवाई के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र और सैन्य ठिकानों का उपयोग करने की योजना बना रहा है।
ईरान और पाकिस्तान का जटिल रिश्ता
पाकिस्तान और ईरान 900 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं, और दोनों देशों के बीच सहयोग और तनाव का एक जटिल इतिहास रहा है। पाकिस्तान ने इज़राइल के ईरान पर हाल के हमलों की निंदा की है, इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताते हुए। साथ ही, पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने ट्रंप से आग्रह किया कि अमेरिका इज़राइल-ईरान युद्ध में शामिल न हो और इसके बजाय संघर्षविराम की दिशा में काम करे।
हालांकि, कुछ सूत्रों के अनुसार, ट्रंप ने मुनीर पर दबाव डाला कि पाकिस्तान अमेरिका को ईरान के खिलाफ खुफिया जानकारी और हवाई क्षेत्र तक पहुंच प्रदान करे। यह प्रस्ताव अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को उन्नत सैन्य तकनीक, जैसे पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान और आर्थिक सहायता के बदले में दिया गया।
क्षेत्रीय प्रभाव
इस मुलाकात ने भारत सहित क्षेत्रीय शक्तियों में चिंता पैदा की है। दिल्ली का आकलन है कि अमेरिका, ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र और सैन्य अड्डों का उपयोग करना चाहता है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह पाकिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय मुद्दों में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को कभी स्वीकार नहीं करेगा।
ईरान ने भी इस मुलाकात पर प्रतिक्रिया दी है। एक वरिष्ठ ईरानी राजनयिक, मोहम्मद जवाद होसैनी ने आशा जताई कि पाकिस्तान अपने हवाई क्षेत्र और सैन्य ठिकानों को ईरान के खिलाफ कार्रवाइयों के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान ऐसा नहीं करेगा।”
अन्य चर्चाएँ
ईरान-इज़राइल संघर्ष के अलावा, ट्रंप और मुनीर ने आर्थिक विकास, खनन और खनिज, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ऊर्जा, क्रिप्टोकरेंसी, और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा की। पाकिस्तानी सेना ने कहा कि ट्रंप ने दीर्घकालिक रणनीतिक हितों के आधार पर पाकिस्तान के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापारिक संबंध विकसित करने में गहरी रुचि दिखाई।
मुनीर ने ट्रंप को पाकिस्तान की ओर से आधिकारिक यात्रा का निमंत्रण भी दिया, जिसे दोनों देशों के बीच गर्मजोशी भरे संबंधों का प्रतीक माना जा रहा है।
निष्कर्ष
ट्रंप और मुनीर की इस मुलाकात ने न केवल अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों को मजबूती दी है, बल्कि मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक गतिशीलता को भी प्रभावित किया है। पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति, विशेष रूप से ईरान के साथ इसकी साझा सीमा, इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बनाती है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या पाकिस्तान अमेरिका के साथ गहरे सैन्य सहयोग के लिए तैयार होगा, खासकर जब यह ईरान के साथ उसके संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
इस मुलाकात ने क्षेत्रीय और वैश्विक मंच पर कई सवाल खड़े किए हैं, और आने वाले समय में इसके परिणामों पर सभी की नजर रहेगी।