प्रस्तावना
भारत जैसे विकासशील देश में बाल श्रम (Child Labour) एक पुरानी और गहरी सामाजिक समस्या रही है। देश में समय-समय पर सरकार और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा इस अमानवीय प्रथा के खिलाफ अभियान चलाए जाते हैं। वर्ष 2024-25 में कुछ राज्यों ने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया और सबसे अधिक बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराया।
यह ब्लॉग उन्हीं राज्यों पर आधारित है जिन्होंने इस वर्ष बाल श्रम उन्मूलन में अग्रणी भूमिका निभाई।
2024-25 में सबसे ज़्यादा बाल श्रमिकों को बचाने वाले राज्य
1. उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश ने इस वर्ष सबसे ज़्यादा बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराकर एक मिसाल कायम की। विशेषकर वाराणसी, कानपुर और मिर्ज़ापुर जैसे औद्योगिक व कुटीर उद्योग प्रधान जिलों में बच्चों को कठिन परिश्रम से बचाया गया। सरकार और चाइल्डलाइन जैसी संस्थाओं की सक्रियता इस सफलता का मुख्य कारण रही।
2. बिहार
बिहार के सीमांचल और मधुबनी जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बच्चों को ईंट भट्टों, खेतों और घरेलू कार्यों से मुक्त कराया गया। राज्य पुलिस और श्रम विभाग की संयुक्त मुहिम ने इस दिशा में कई छापेमारी अभियान चलाए।
3. झारखंड
झारखंड में खासकर खनन क्षेत्रों और निर्माण स्थलों से बच्चों को मुक्त कराया गया। राज्य ने श्रम कानूनों को और कठोरता से लागू किया और पुनर्वास केंद्रों की व्यवस्था को बेहतर बनाया।
4. महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे और पुणे जैसे शहरी इलाकों में होटल, ढाबा, कारखानों में काम कर रहे बच्चों को बचाया गया। NGOs और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की सहभागिता से यह संभव हो सका।
5. राजस्थान
राजस्थान के बाड़मेर, जोधपुर और बीकानेर क्षेत्रों में विशेषकर कांच और पत्थर उद्योगों में कार्यरत बच्चों को बचाया गया। राज्य सरकार ने स्कूल में दोबारा दाखिले के लिए विशेष अभियान भी चलाया।
मुख्य कारण
- गरीबी और बेरोजगारी
- अशिक्षा और जागरूकता की कमी
- पलायन और परिवार की आर्थिक ज़रूरतें
- बाल श्रम के विरुद्ध कानूनों का ढीला कार्यान्वयन
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 को और अधिक सख्त बनाया गया है।
- पेंसन योजना, मिड-डे मील योजना, और समग्र शिक्षा अभियान के जरिए बच्चों को स्कूल से जोड़ा जा रहा है।
- राहत एवं पुनर्वास केंद्रों की संख्या बढ़ाई गई है।
आगे का रास्ता
- समुदायों में सामाजिक जागरूकता फैलाना जरूरी है।
- स्कूलों और शिक्षकों को बाल श्रमिकों की पहचान में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
- सभी राज्यों को मिलकर एक राष्ट्रीय स्तर का डेटाबेस बनाना चाहिए ताकि हर बच्चे का रिकॉर्ड रखा जा सके।
निष्कर्ष
2024-25 में बाल श्रम से मुक्त कराए गए बच्चों की बढ़ती संख्या निश्चय ही एक सकारात्मक संकेत है। लेकिन यह तब तक पर्याप्त नहीं जब तक हम इस समस्या की जड़ को न पहचानें और इसे जड़ से समाप्त करने का प्रयास न करें। यह केवल सरकार की नहीं, हम सभी की ज़िम्मेदारी है कि हर बच्चा किताबों के साथ बचपन बिताए, काम के बोझ तले नहीं।