पारशिवनी. पारशिवनी तहसील के ग्रामीण इलाकों में आदमखोर बाघ का आतंक बढ़ता जा रहा है। बीते तीन महीनों में बाघ ने न सिर्फ कई गाय, बैल और भैंसों को अपना शिकार बनाया है, बल्कि इंसानों पर भी हमला किया है। लगातार हो रहे हमलों से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है और वे डर के माहौल में जीने को मजबूर हैं।
सोमवार शाम पारडी गांव के पास किसान राजू डोईफोडे के खेत में बंधी गाय और बछड़े पर आदमखोर बाघ ने हमला कर उन्हें मार डाला। इस घटना से किसान को करीब 80,000 रुपये का नुकसान हुआ। दो दिन पहले भी इसी इलाके में बाघ ने एक बैल का शिकार किया था, जिससे 60,000 रुपये का नुकसान हुआ।
पिछले महीने आमगांव में खेत में काम कर रहे एक मजदूर पर बाघ ने हमला कर उसकी जान ले ली थी। इन घटनाओं से किसान दहशत में हैं और खेतों में जाने से डर रहे हैं, जिससे फसलें भी प्रभावित हो रही हैं और उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। किसानों का आरोप है कि वन विभाग के अधिकारी इस गंभीर समस्या को हल्के में ले रहे हैं।
बाघ लगातार जानवरों और इंसानों पर हमला कर रहा है, लेकिन वन विभाग सिर्फ दिखावे के लिए कार्रवाई कर रहा है। अधिकारियों की लापरवाही के कारण बाघ बेखौफ होकर गांवों में घुस रहा है और लोगों को निशाना बना रहा है। इससे पहले दो बार किसानों ने पारशिवनी में चक्का जाम कर विरोध प्रदर्शन किया था।
हर बार वन विभाग ने बाघ को पकड़ने का आश्वासन दिया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। रामटेक विधानसभा क्षेत्र से विधायक और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आशिष जैस्वाल को भी किसानों ने इस समस्या से अवगत कराया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। किसानों का कहना है कि मंत्री जी के पास इस मामले को लेकर सख्त निर्देश देने की शक्ति है, फिर भी वे कोई ठोस प्रयास नहीं कर रहे हैं।
किसानों की चेतावनी: होगा चक्का जाम आंदोलन
पारडी की सरपंच स्वाती डोईफोडे ने कहा कि बाघ लगातार पशुओं को मार रहा है और खेतों में काम कर रहे किसानों के लिए भी खतरा बना हुआ है। बार-बार वन विभाग को सूचित करने के बावजूद बाघ को पकड़ने की दिशा में गंभीर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। इससे नाराज किसानों ने नागपुर के पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के निवास के सामने चक्का जाम आंदोलन करने की चेतावनी दी है। किसानों ने साफ कहा है कि अगर जल्द ही बाघ को नहीं पकड़ा गया, तो वे हजारों किसानों और पालतू जानवरों के साथ आंदोलन करेंगे। अब देखना होगा कि वन विभाग और सरकार इस मुद्दे को कब तक गंभीरता से लेते हैं और किसानों को राहत दिलाने के लिए क्या कदम उठाते हैं। अगली खबर के लिए यहां क्लिक करेंI