
स्वतंत्रता दिवस केवल आज़ादी का जश्न मनाने का दिन नहीं है, बल्कि यह उन वीर सपूतों को याद करने और श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर भी है जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, सरदार पटेल और अनगिनत नाम ऐसे हैं जिन्होंने अपने साहस और बलिदान से आज़ादी की मशाल को प्रज्वलित रखा।
15 अगस्त की सुबह देश के कोने-कोने में शहीद स्मारकों पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित होते हैं। राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जाकर शहीदों को नमन करते हैं। इसके बाद पूरे देश में दो मिनट का मौन रखा जाता है, जिससे उन बलिदानों को सम्मान दिया जा सके जिन्होंने हमें स्वतंत्रता दिलाई।
स्कूल और कॉलेजों में बच्चों को स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन, संघर्ष और विचारधारा के बारे में बताया जाता है। नाटक, भाषण और कविता पाठ के माध्यम से उनकी कहानियाँ नई पीढ़ी तक पहुँचाई जाती हैं, ताकि उनमें देशभक्ति और जिम्मेदारी की भावना जागृत हो।
मीडिया पर भी इस दिन विशेष कार्यक्रम प्रसारित होते हैं जिनमें स्वतंत्रता संग्राम की ऐतिहासिक घटनाओं और नेताओं की भूमिकाओं को उजागर किया जाता है। अख़बार और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शहीदों की प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ी जाती हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करना केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह एक संकल्प है कि हम उनकी कुर्बानी को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। यह हमें याद दिलाता है कि आज़ादी की रक्षा और देश की अखंडता बनाए रखना हमारा नैतिक दायित्व है। हर वर्ष 15 अगस्त को जब हम तिरंगे को सलामी देते हैं, तब हमारे दिल में उन वीरों के प्रति गर्व और कृतज्ञता की भावना और गहरी हो जाती है।