“विज्ञान केवल किताबों में नहीं, वह हर उस सवाल में है जो ‘क्यों’ से शुरू होता है।”
बच्चों की जिज्ञासा जब प्रयोगों से टकराती है, तो जन्म लेता है ज्ञान और कल्पना का अद्भुत मेल — और इसी मेल का उत्सव है साइंस एक्सपो।
यह एक्सपो बच्चों के लिए एक ऐसा मंच है जहाँ विज्ञान को देखा, छुआ और महसूस किया जा सकता है — वो भी खेल-खेल में!
साइंस एक्सपो क्या है?
साइंस एक्सपो एक इंटरैक्टिव और रचनात्मक प्रदर्शनी है जिसमें स्कूली छात्र, शिक्षक और विज्ञान प्रेमी मिलकर विज्ञान के सिद्धांतों, खोजों और संभावनाओं को रोचक तरीकों से प्रस्तुत करते हैं।
यह आयोजन:
- बच्चों की रचनात्मक सोच को बढ़ाता है
- उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चीजें देखने के लिए प्रेरित करता है
- इनोवेशन और समस्या समाधान की कला सिखाता है
एक्सपो की रोचक झलकियाँ
🧲 छात्रों द्वारा बनाए गए मॉडल्स
सोलर ओवन, वाटर प्यूरीफायर, वोल्केनो मॉडल, स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम, रॉकेट लॉन्चर्स — बच्चों की कल्पना विज्ञान से भी तेज़ निकली!
🧠 लाइव साइंस डेमो ज़ोन
- न्यूटन के गति नियमों को खिलौनों से समझाया गया
- ड्राई आइस और लिक्विड नाइट्रोजन के साथ जादू जैसे प्रयोग
- माइक्रोस्कोप के ज़रिए दिखाए गए जीवाणु और कोशिकाएँ
🌍 थीम आधारित पवेलियन्स
- पर्यावरण और स्थिरता
- स्पेस और एस्ट्रोनॉमी
- डिजिटल इनोवेशन और रोबोटिक्स
- फ्यूचर टेक: AI, IoT, और स्मार्ट टेक्नोलॉजी
🤖 रोबोटिक्स और कोडिंग कॉर्नर
बच्चों ने खुद बनाए बॉट्स, प्रोग्रामिंग के ज़रिए लाइन फॉलोअर्स और डांसिंग रोबोट्स!
शिक्षा से अनुभव की ओर
परंपरागत शिक्षा | साइंस एक्सपो |
---|---|
थ्योरी आधारित | अनुभव आधारित |
शिक्षक केंद्रित | छात्र केंद्रित |
एकतरफा सीखना | दोतरफा संवाद |
पाठ्यपुस्तक ज्ञान | जीवन से जुड़ी प्रयोगात्मक सीख |
बच्चों की प्रतिक्रिया
🗣️ “पहली बार मुझे लगा कि मैं भी वैज्ञानिक बन सकता हूँ!”
🗣️ “मैंने अपने पापा को दिखाया कि मैंने खुद रोबोट बनाया है।”
🗣️ “अब साइंस बोरिंग नहीं, मज़ेदार है!”
क्यों ज़रूरी है ऐसे एक्सपो?
- जिज्ञासा को प्रोत्साहन
- टीमवर्क और प्रेजेंटेशन स्किल्स में सुधार
- समस्या सुलझाने की क्षमता विकसित होती है
- करियर की दिशा तय करने में मदद मिलती है
निष्कर्ष
साइंस एक्सपो केवल एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि भावी वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और इनोवेटर्स के बीज बोने का कार्य है।
यह बच्चों को बताता है कि विज्ञान सिर्फ फार्मूलों और सिद्धांतों तक सीमित नहीं, बल्कि हर रोज़ के जीवन का हिस्सा है।
“अगर हम बच्चों को सवाल पूछने की आज़ादी दें, तो वे जवाबों से आगे बढ़ सकते हैं।”