सरकारी नीतियों पर एक इकॉनॉमिक एक्सपर्ट की राय – अर्थव्यवस्था की असली तस्वीर
सरकार की हर आर्थिक नीति का सीधा असर होता है हमारे रोज़मर्रा के जीवन पर – फिर चाहे वो बजट हो, टैक्स में बदलाव हो, या MSME के लिए स्कीम्स।
लेकिन सवाल ये है: क्या ये नीतियाँ वास्तव में काम कर रही हैं? क्या जमीनी हकीकत उतनी ही अच्छी है जितनी रिपोर्ट्स में दिखती है?
इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए हमने बात की डॉ. मनीषा रावत से – जो एक जानी-मानी इकॉनॉमिस्ट हैं और पिछले 15 वर्षों से भारत की नीतियों पर रिसर्च कर रही हैं।
इंटरव्यू:
Q1. डॉ. मनीषा, वर्तमान सरकार की आर्थिक नीतियों को आप कैसे आंकती हैं?
डॉ. मनीषा:
कुछ नीतियाँ वाकई प्रभावशाली रही हैं, जैसे कि PM Awas Yojana, Startup India, और UDYAM Registration ने छोटे व्यापारियों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश की है। लेकिन इनका क्रियान्वयन (implementation) अब भी असमान है। बड़े शहरों में फायदा हुआ है, पर गांवों और टियर-2, टियर-3 शहरों में इनका असर सीमित है।
Q2. बजट 2025 की कौन-सी नीति आपको सबसे प्रभावी लगी?
डॉ. मनीषा:
“Green Growth” पर दिया गया फोकस सराहनीय है। भारत को अगर अगले 10 सालों में एक सस्टेनेबल इकोनॉमी बनाना है, तो पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए निवेश ज़रूरी है। इसके अलावा कैपेक्स (Capital Expenditure) में बढ़ोतरी लॉन्ग टर्म में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेगी।
Q3. क्या सरकार की योजनाएँ आम जनता तक पहुँच रही हैं?
डॉ. मनीषा:
योजनाएं डिजिटली उपलब्ध हैं, लेकिन डिजिटल लिटरेसी अब भी एक बड़ी चुनौती है। उदाहरण के लिए, एक किसान के पास अगर स्मार्टफोन है भी, तो क्या वह PM Kisan App चला सकता है? सरकारी योजनाओं को सफल बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर जागरूकता और ट्रेनिंग की बहुत ज़रूरत है।
Q4. आप युवाओं को क्या सलाह देंगी, खासकर उन लोगों को जो सरकारी नीतियों का फायदा उठाना चाहते हैं?
डॉ. मनीषा:
- सरकारी वेबसाइट्स और MyGov जैसे प्लेटफॉर्म्स से अपडेट रहें
- लोकल MSME ऑफिस, जिला उद्योग केंद्र (DIC) आदि से संपर्क करें
- Digital India के तहत मिलने वाली स्कीम्स और ट्रेनिंग्स का लाभ लें
- सबसे ज़रूरी – खुद को फाइनेंशियल और पॉलिसी लिटरेट बनाएं
एक्सपर्ट की राय में 5 ज़रूरी बातें:
- नीति अच्छी हो सकती है, लेकिन execution बेहतर होना चाहिए
- स्कीम्स के साथ लोकल सपोर्ट सिस्टम भी ज़रूरी है
- आर्थिक नीति बनाते वक्त ग्राउंड-लेवल डेटा को अहमियत मिलनी चाहिए
- हर योजना का एक feedback mechanism होना चाहिए
- युवाओं को नीति-निर्माण में प्रत्यक्ष भागीदारी करनी चाहिए
अंतिम शब्द
सरकारी नीतियाँ सिर्फ फाइलों में नहीं, ज़मीन पर चलती हैं।
एक अच्छी नीति तभी असरदार होती है जब जनता तक उसका फायदा सही समय पर और सही रूप में पहुँचे।
डॉ. मनीषा रावत की यह बातचीत हमें यही सिखाती है – कि सिर्फ आलोचना या तारीफ से नहीं, नीतियों को समझदारी से समझना और उन्हें सुधारने में भाग लेना भी उतना ही ज़रूरी है।