उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा ने राज्य की राजनीति और कानून व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया। इस घटना में चार लोगों की मौत हुई और कई पुलिसकर्मी घायल हुए। अब इस मामले की जांच विशेष जांच दल (SIT) और न्यायिक आयोग द्वारा की जा रही है, जिससे कई अहम खुलासे हुए हैं।
SIT की जांच और चार्जशीट
SIT ने इस मामले की विस्तृत जांच के बाद 1000 से अधिक पन्नों की चार्जशीट तैयार की है, जिसे 19 फरवरी 2025 को अदालत में प्रस्तुत किया गया। इस चार्जशीट में हिंसा में शामिल लोगों के नाम, उनकी भूमिकाएं, सीसीटीवी फुटेज, वीडियो क्लिप्स और अन्य सबूत शामिल हैं। अब तक 79 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं। अदालत ने 130 जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
न्यायिक आयोग की जांच
न्यायिक आयोग ने भी इस मामले की जांच शुरू की है। संभल के एसपी केके बिश्नोई ने आयोग के समक्ष पांच घंटे तक बयान दर्ज कराया, जिसमें उन्होंने बताया कि हिंसा पूरी तरह से सुनियोजित थी। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक 12 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें से 6 की चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।
सांसद जियाउर रहमान बर्क की भूमिका
समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क से SIT ने तीन घंटे तक पूछताछ की। उन पर हिंसा से एक दिन पहले भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। बर्क ने जांच में सहयोग करते हुए अपना बयान दर्ज कराया और कहा कि उन्होंने आयोग को सभी आवश्यक जानकारी प्रदान की है।
विदेशी हथियारों की बरामदगी
हिंसा के दौरान पाकिस्तान और अमेरिका में बने कारतूसों की बरामदगी ने मामले को और गंभीर बना दिया है। फॉरेंसिक टीम ने हिंसा प्रभावित क्षेत्र से ये कारतूस बरामद किए, जिससे विदेशी संबंधों की आशंका जताई जा रही है।
प्रभावित क्षेत्र की स्थिति
हिंसा के बाद लगभग 300 घर बंद पड़े हैं और कई परिवार क्षेत्र छोड़कर चले गए हैं। पुलिस और प्रशासन ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है और स्थिति को सामान्य करने के प्रयास जारी हैं।
निष्कर्ष
संभल हिंसा की जांच में SIT और न्यायिक आयोग की सक्रियता से यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है। आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता से ही पीड़ितों को न्याय मिल सकता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकती है।