वर्धा नदी के तट पर मौर्यकालीन अवशेष मिले.

गोंडपिपरी तालुका के बेड़गांव फार्म में खोज.चंद्रपुर,जिले में मौर्य काल के बहुत कम अवशेष पाए गए हैं. इसके अलावा, चंद्रपुर के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ेगा, जब गोंडपिपरी तालुका के बेड़गांव खेत परिसर में मौर्य युग के अवशेष मिले हैं। प्रा. सुरेश चोपणे का अनुमान है कि खोजे गए अवशेष मौर्य से वाकाटक काल के हैं.
वर्धा नदी के तट पर स्थित खेतों में मौर्य से लेकर सातवाहन काल तक के अवशेष खोजे जा रहे हैं. इसमें टेराकोटा के मोती, घरेलू बर्तनों के टुकड़े, पत्थर के औजार और तांबे की मूर्तियाँ मिली हैं. वैनगंगा, वर्धा, अंधारी, उमा और पैनगंगा नदियाँ चंद्रपुर जिले से होकर बहती हैं. प्राचीन काल में नदियों के किनारे बस्तियाँ हुआ करती थीं.

गोंडपिपरी
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इस बस्ती के अवशेष आज भी पाए जा सकते हैं. खोजे गए अवशेषों से उस समय का प्राचीन इतिहास सामने आ रहा है. गोंडपिपरी तालुका के बेडगांव खेत क्षेत्र में वर्धा नदी के तट पर वसंता चिताडे के खेत में एक प्राचीन बस्ती के अवशेष खोजे गए हैं.

प्रा. सुरेश चोपणे का अनुमान है कि यहां मिले अवशेष मौर्य से वाकाटक काल के हैं. इसका महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि वर्धा नदी के तट पर इसके अवशेष मिल रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि नदी के दूसरे किनारे पर तेलंगाना राज्य के गांव हैं. प्राचीन काल में परिवहन नदी के द्वारा किया जाता था. इसलिए प्रो चोपणे ने अनुमान लगाया है कि यहां नाका हो सकता है.
गोंडपिपरी तालुका के गांवों में ऐतिहासिक कलाकृतियां बिखरी पड़ी हैं. यहाँ की कई घाटियों में प्राचीन बस्तियाँ थीं. जमीन के नीचे दबा इतिहास अब प्रकाश में आ रहा है.बेडगांव में मिली वस्तुएं गोंडपिपरी तालुका के इतिहास में इजाफा करती हैं.पुरातत्व विभाग को इस मकबरे की खुदाई करनी चाहिए ऐसी जानकारी अरुण झगड़कर, अध्यक्ष, ऐतिहासिक धरोहर संरक्षण समिति ने दी.

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