21 जून 2025 को ओडिशा के बालासोर जिले में सुवर्णरेखा नदी में अचानक आई बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई। इस आपदा ने 50,000 से अधिक लोगों को प्रभावित किया और 50 से ज्यादा गांवों को जलमग्न कर दिया। बाढ़ का मुख्य कारण झारखंड में भारी बारिश और चांडिल डैम से अचानक छोड़ा गया पानी बताया जा रहा है, जिसने नदी को खतरे के निशान से ऊपर ला दिया।
बाढ़ की स्थिति और प्रभाव
सुवर्णरेखा नदी का जलस्तर शनिवार को 11 मीटर से अधिक हो गया, जो खतरे के निशान 10.36 मीटर से काफी ऊपर था। इसके परिणामस्वरूप, बालियापाल, भोगराई, बस्ता और जलेश्वर ब्लॉकों के 61 गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया। सड़कें जलमग्न हो गईं, जिससे नावें ही आवागमन का एकमात्र साधन बन गईं। कई गांवों में फसलें और खेत बर्बाद हो गए, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ।
बाढ़ के कारण एक युवक बिष्णुपुर ग्राम पंचायत, बालियापाल ब्लॉक से लापता हो गया, जिसके बाद ओडीआरएएफ (Odisha Disaster Rapid Action Force) ने बचाव अभियान शुरू किया। इसके अलावा, एक व्यक्ति की मृत्यु की भी खबर है, जिसे बाढ़ के पानी ने बहा लिया।
राहत और बचाव कार्य
बालासोर जिला प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किए। जिला कलेक्टर सूर्यवंशी मयूर विकास ने सभी ब्लॉक विकास अधिकारियों (बीडीओ) और तहसीलदारों को हाई अलर्ट पर रहने और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के निर्देश दिए। ओडीआरएएफ की दो टीमें भोगराई और बालियापाल में तैनात की गईं, जबकि जालेश्वर में मुफ्त रसोई की व्यवस्था शुरू की गई।
आशा कार्यकर्ताओं ने 50 से अधिक प्रभावित गांवों में ओआरएस और हलोजन टैबलेट वितरित किए। पीने के पानी की आपूर्ति टैंकरों और बोतलों के माध्यम से की जा रही है। प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया कि आवश्यक दवाएं और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हों।
विवाद और आरोप
बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी ने झारखंड के चांडिल डैम प्राधिकरण पर बिना सूचना दिए अतिरिक्त पानी छोड़ने का आरोप लगाया, इसे “आपराधिक कदाचार” करार दिया। उनका कहना है कि अगर समय पर सूचना दी गई होती, तो इस आपदा को कम किया जा सकता था।
वर्तमान स्थिति
रविवार, 22 जून 2025 को सुवर्णरेखा नदी का जलस्तर 9.94 मीटर तक कम हो गया, जो खतरे के निशान से नीचे है। हालांकि, प्रभावित गांवों में पानी अभी भी भरा हुआ है, और अधिकारियों का अनुमान है कि स्थिति पूरी तरह सामान्य होने में चार से पांच दिन लग सकते हैं।
निष्कर्ष
यह बाढ़ बालासोर के लोगों के लिए एक बड़ा झटका है, जिन्हें अब अपने घरों और आजीविका को फिर से बनाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन के त्वरित प्रयासों और राहत कार्यों से कुछ हद तक स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान के लिए बेहतर जल प्रबंधन और अंतर-राज्यीय समन्वय की आवश्यकता है।