मुंबई में 11 अप्रैल 2025 को वक्फ संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन हुआ, जिसमें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता वारिस पठान और उनके समर्थकों ने हिस्सा लिया। यह प्रदर्शन बायकुला स्थित चिश्ती हिंदुस्तानी मस्जिद के बाहर जुमे की नमाज के बाद आयोजित किया गया था। प्रदर्शन के दौरान, पुलिस ने वारिस पठान समेत कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, क्योंकि इस प्रदर्शन के लिए आवश्यक अनुमति नहीं ली गई थी。
वारिस पठान ने इस कानून को “काला कानून” करार देते हुए कहा कि यह संविधान के खिलाफ है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए。
मुंबई के अलावा, कोलकाता, लखनऊ, और श्रीनगर सहित देश के अन्य शहरों में भी वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुए। कोलकाता में आलिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने कैंपस में मार्च निकाला, जबकि लखनऊ में शिया समुदाय के लोगों ने शिया धर्मगुरु कल्बे जवाद की अगुवाई में विरोध प्रदर्शन किया。
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 11 अप्रैल से 7 जुलाई 2025 तक ‘वक्फ बचाओ अभियान’ चलाने की घोषणा की है, जिसमें मुसलमानों से अपील की गई है कि वे अपने घरों की बत्तियाँ बंद करके वक्फ कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध दर्ज करें。
इस कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों से यह स्पष्ट है कि मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग में इस संशोधन को लेकर असंतोष व्याप्त है, और वे इसे अपने अधिकारों के खिलाफ मानते हैं। सरकार और संबंधित पक्षों के बीच संवाद स्थापित करना आवश्यक है ताकि इस मुद्दे का समाधान शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से हो सके।