परिचय
हाल ही में दिल्ली से भोपाल जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक यात्री को कथित तौर पर बीजेपी विधायक के समर्थकों द्वारा पीटने का मामला सामने आया है। यह घटना झांसी रेलवे स्टेशन पर हुई, जब यात्री ने विधायक के साथ सीट बदलने से इनकार कर दिया। इस घटना ने न केवल रेल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं, बल्कि जनप्रतिनिधियों के व्यवहार पर भी चर्चा छेड़ दी है।
घटना का विवरण
19 जून, 2025 को दिल्ली से भोपाल जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस के एग्जीक्यूटिव कोच (E-2) में यह घटना हुई। बीजेपी के झांसी (बबीना) से विधायक राजीव सिंह परिछा अपनी पत्नी कमली सिंह और बेटे श्रेयांश सिंह के साथ यात्रा कर रहे थे। राजीव सिंह को सीट नंबर 8 आवंटित थी, जबकि उनकी पत्नी और बेटे को क्रमशः सीट नंबर 50 और 51 मिली थीं। उनके बगल में सीट नंबर 49 पर एक यात्री, राजप्रकाश, बैठे थे, जो खिड़की वाली सीट थी।
विधायक ने राजप्रकाश से अपनी सीट (नंबर 8) के साथ उनकी खिड़की वाली सीट (नंबर 49) बदलने का अनुरोध किया। राजप्रकाश ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद मामला गंभीर रूप ले लिया। जैसे ही ट्रेन झांसी स्टेशन पर रुकी, 5-8 लोगों का एक समूह कोच में घुसा और राजप्रकाश पर लात-घूंसों से हमला कर दिया। इस हमले में राजप्रकाश को गंभीर चोटें आईं, उनकी नाक से खून निकलने लगा और उन्हें शारीरिक रूप से काफी नुकसान पहुंचा। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें हमलावरों को राजप्रकाश को पीटते हुए देखा जा सकता है।
विधायक का पक्ष
बीजेपी विधायक राजीव सिंह ने इस घटना में अपनी किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है। उन्होंने दावा किया कि वह और उनका परिवार हमले से पहले ही ट्रेन से उतर चुके थे। विधायक ने यह भी कहा कि राजप्रकाश ने उनके परिवार के साथ अभद्र व्यवहार किया और अन्य यात्रियों को परेशान किया, जिसके कारण विवाद बढ़ा। इसके आधार पर, विधायक ने राजप्रकाश के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 115(2) और 352 के तहत एक FIR दर्ज की है।
यात्री और प्रत्यक्षदर्शियों का दावा
दूसरी ओर, राजप्रकाश ने आरोप लगाया कि विधायक के समर्थकों ने सीट विवाद के कारण उन पर हमला किया। कई यात्रियों और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के आधार पर यह दावा किया जा रहा है कि हमलावर विधायक के समर्थक थे। वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कुछ लोग राजप्रकाश को बेरहमी से पीट रहे हैं, जबकि विधायक पास में मौजूद थे। इस घटना ने सोशल मीडिया पर व्यापक आक्रोश पैदा किया है, जहां लोग इसे “गुंडाराज” और जनप्रतिनिधियों के दुरुपयोग की मिसाल बता रहे हैं।
पुलिस और कानूनी कार्रवाई
उत्तर प्रदेश रेलवे पुलिस (GRP) ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। विधायक की शिकायत के आधार पर राजप्रकाश के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, लेकिन हमले के आरोपों की भी जांच की जा रही है। सोशल मीडिया पर इस घटना के वायरल होने के बाद, पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और झांसी के SP GRP को जांच के लिए निर्देश दिए गए हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
यह घटना सोशल मीडिया, खासकर X पर, चर्चा का विषय बन गई है। कई यूजर्स ने इस घटना को बीजेपी विधायक की “गुंडागर्दी” करार दिया है। कुछ लोगों ने इसे उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाने का मौका माना है। एक यूजर ने लिखा, “वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेन में भी अगर यात्री सुरक्षित नहीं हैं, तो यह शासन की विफलता है।” वहीं, कुछ अन्य लोगों ने विधायक के व्यवहार को “अहंकारपूर्ण” और “गैर-जिम्मेदाराना” बताया।
सुरक्षा और नैतिकता पर सवाल
यह घटना न केवल रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि जनप्रतिनिधियों के व्यवहार और उनकी जिम्मेदारी पर भी चर्चा को जन्म देती है। वंदे भारत एक्सप्रेस, जिसे भारत की सबसे आधुनिक और हाई-प्रोफाइल ट्रेनों में से एक माना जाता है, में इस तरह की घटना यात्रियों के बीच असुरक्षा की भावना पैदा करती है। साथ ही, यह सवाल उठता है कि क्या जनप्रतिनिधियों को अपने पद का दुरुपयोग करने की छूट मिलनी चाहिए?
निष्कर्ष
वंदे भारत ट्रेन में हुई इस घटना ने एक बार फिर से सत्ता और शक्ति के दुरुपयोग पर बहस छेड़ दी है। यह जरूरी है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सजा मिले, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। यात्रियों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना रेलवे और सरकार की जिम्मेदारी है। साथ ही, जनप्रतिनिधियों को भी अपने व्यवहार में संयम और नैतिकता का पालन करना चाहिए। यह घटना हमें याद दिलाती है कि सत्ता का उपयोग जनता की सेवा के लिए होना चाहिए, न कि उनके दमन के लिए।