महंगाई पर सरकार की नीति: राहत या छलावा?

महंगाई, या मुद्रास्फीति, किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है, जो सीधे आम जनता की क्रय शक्ति और जीवन स्तर को प्रभावित करता है। भारत में महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए सरकार विभिन्न नीतियों और उपायों का सहारा लेती रही है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ये नीतियाँ वास्तव में जनता को राहत पहुँचाती हैं, या केवल सांख्यिकीय छलावा साबित होती हैं?


सरकार की मौजूदा नीतियाँ और उनके प्रभाव

सरकार ने महंगाई पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए हैं:

  1. मुद्रास्फीति दर में कमी: आर्थिक सर्वेक्षण 2025 के अनुसार, सरकार की विभिन्न पहलों के चलते खुदरा महंगाई दर चार साल के निचले स्तर 5.4% पर आ गई है।
  2. मौद्रिक नीति का समायोजन: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए महंगाई दर का अनुमान 4.8% रखा है, जो पहले 4.5% था। हालांकि, यह उम्मीद जताई गई है कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही तक महंगाई दर 4.2% तक गिर सकती है।
  3. आय सहायता और सब्सिडी: सरकार ने महामारी के दौरान प्रत्यक्ष आय हस्तांतरण, मुफ्त अनाज वितरण, और खाद पर सब्सिडी जैसे उपाय अपनाए हैं, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग को राहत मिली है।

आलोचनाएँ और चुनौतियाँ

हालांकि सरकारी आंकड़ों में महंगाई दर में कमी दिखती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और बयां करती है:

  • खाद्य पदार्थों की कीमतें: खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी 8.69% पर स्थिर बनी हुई है, जिससे आम जनता को दैनिक आवश्यकताओं की खरीद में कठिनाई हो रही है।
  • विपक्ष की आलोचना: कांग्रेस पार्टी ने महंगाई और पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतों के लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है, यह दर्शाता है कि इन मुद्दों पर राजनीतिक असहमति बनी हुई है।
  • वैश्विक प्रभाव: वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि का सीधा असर घरेलू महंगाई पर पड़ता है, और विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में महंगाई ऊँची बनी रह सकती है, हालांकि सरकारी नीतियाँ इसे और बढ़ने से रोक सकती हैं।

निष्कर्ष

सरकार की नीतियाँ महंगाई को नियंत्रित करने में कुछ हद तक सफल रही हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर आम जनता को पूर्ण राहत नहीं मिल पाई है। खाद्य पदार्थों की ऊँची कीमतें और ऊर्जा लागत में वृद्धि जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। अतः, यह कहना उचित होगा कि सरकार की नीतियाँ आंशिक रूप से राहत प्रदान करती हैं, लेकिन इन्हें पूर्ण सफलता के लिए और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है।


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