महावीर जयंती जैन धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान महावीर के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पावन पर्व 10 अप्रैल, गुरुवार को मनाया जा रहा है, जो भगवान महावीर की 2623वीं जयंती है。
भगवान महावीर का जीवन परिचय
भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व बिहार के कुंडग्राम (वर्तमान वैशाली जिला) में हुआ था। उनके पिता राजा सिद्धार्थ और माता रानी त्रिशला थीं। जन्म के समय उनका नाम ‘वर्धमान’ रखा गया, जिसका अर्थ है ‘वृद्धि’ या ‘उन्नति’。
30 वर्ष की आयु तक राजसी जीवन व्यतीत करने के बाद, वर्धमान ने सांसारिक सुखों का त्याग कर आत्मज्ञान की खोज में संन्यास ले लिया। 12 वर्षों की कठोर तपस्या के पश्चात, उन्हें कैवल्य ज्ञान (सर्वोच्च ज्ञान) की प्राप्ति हुई, जिसके बाद वे ‘महावीर’ या ‘महान नायक’ कहलाए।
महावीर जयंती का महत्व
महावीर जयंती के अवसर पर जैन समुदाय भगवान महावीर की शिक्षाओं और उनके द्वारा स्थापित पंच महाव्रतों—अहिंसा (किसी भी जीव को हानि न पहुंचाना), सत्य (सत्य बोलना), अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (इंद्रियों पर संयम) और अपरिग्रह (संपत्ति का त्याग)—का स्मरण करता है। यह पर्व आत्मसंयम, नैतिकता और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है。
भारत में महावीर जयंती 2025 का उत्सव
वर्ष 2025 में, महावीर जयंती पर भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेष आयोजन हो रहे हैं:
- मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना: देशभर के जैन मंदिरों में भगवान महावीर की प्रतिमा का अभिषेक किया जा रहा है, जिसमें दूध, जल और सुगंधित द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है।
- शोभायात्राएं: भगवान महावीर की प्रतिमा को रथ में स्थापित कर नगर में शोभायात्राएं निकाली जा रही हैं, जिनमें भक्तगण भजन-कीर्तन करते हुए उनकी शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं。
- धार्मिक प्रवचन और ध्यान: मंदिरों और जैन समुदाय के सभागारों में भगवान महावीर की शिक्षाओं पर आधारित प्रवचन और ध्यान सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे लोग उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा ले सकें。
- दान और सेवा कार्य: महावीर जयंती के अवसर पर जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान किया जा रहा है। कई स्थानों पर रक्तदान शिविर और चिकित्सा जांच शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं।
भगवान महावीर की शिक्षाएं
भगवान महावीर ने ‘जियो और जीने दो’ का संदेश दिया, जो आज भी सामाजिक सद्भाव और शांति के लिए प्रासंगिक है। उनकी शिक्षाएं आत्मसंयम, करुणा और सत्यनिष्ठा पर आधारित हैं, जो मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती हैं。
निष्कर्ष
महावीर जयंती केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह आत्मनिरीक्षण और नैतिक मूल्यों को अपनाने का अवसर प्रदान करता है। भगवान महावीर की शिक्षाएं हमें अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं, जो व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर संतुलन और शांति स्थापित करने में सहायक हैं।
महावीर जयंती के इस पावन अवसर पर, हम सभी उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करें और अपने जीवन को सच्चे अर्थों में समृद्ध बनाएं।