“ईरान-इज़राइल संघर्ष चरम पर: परमाणु ठिकानों पर हमला, अस्पताल बना निशाना”

ईरान और इज़राइल के बीच चल रहा तनाव अब एक बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। हाल ही में इज़राइल ने ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों अराक और नतान्ज़ पर हवाई हमले किए, जिसके जवाब में ईरान ने इज़राइल के एक प्रमुख अस्पताल पर मिसाइल हमला किया। यह घटनाक्रम मध्य पूर्व में बड़े पैमाने पर युद्ध की संभावना को और बढ़ा रहा है।

इज़राइल का हमला: परमाणु कार्यक्रम को निशाना

13 जून को इज़राइली वायुसेना (IAF) ने एक बड़े ऑपरेशन के तहत ईरान के दो प्रमुख परमाणु स्थलों पर हमला किया:

  • अराक रिएक्टर (Khondab Heavy Water Reactor): इस ठिकाने पर हुए हमले से संरचनात्मक क्षति हुई, हालांकि ईरानी अधिकारियों ने रेडिएशन लीक से इनकार किया है।
  • नतान्ज़ परमाणु संयंत्र: यहां सतह पर मौजूद इन्फ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान हुआ, हालांकि भूमिगत सुरंगें सुरक्षित बताई गई हैं।

इस ऑपरेशन में लगभग 200 लड़ाकू विमानों ने हिस्सा लिया और एक साथ 100 से अधिक लक्ष्यों को निशाना बनाया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को करीब एक साल पीछे धकेल दिया गया है।


ईरान का पलटवार: अस्पताल बना निशाना

इज़राइल के हमले के कुछ ही घंटों बाद, ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए इज़राइल के दक्षिणी शहर बेर्सेबा के सोरोका मेडिकल सेंटर पर मिसाइल हमला किया। इस हमले में अस्पताल की इमारत को नुकसान पहुंचा और कई लोग घायल हो गए।

इसके अलावा, ईरान ने तेल अवीव और अन्य रिहायशी इलाकों पर भी मिसाइलें दागीं, जिससे कई नागरिक घायल हुए और संपत्ति को नुकसान पहुंचा।


जान-माल का नुकसान

देशहताहतविवरण
ईरान224 से अधिक मृतक (263 नागरिक सहित)कई सैन्य अधिकारी और वैज्ञानिक मारे गए
इज़राइल24+ नागरिक मृत, 40 से अधिक घायलअस्पताल और घरों को निशाना बनाया गया

वैश्विक प्रतिक्रिया:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान पर अमेरिकी हमले को मंजूरी देने की खबरें सामने आई हैं, हालांकि अंतिम आदेश अभी लंबित है।
  • यूरोपीय देश: जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जल्द ही जेनेवा में ईरान के साथ राजनयिक वार्ता शुरू करने की योजना बना रहे हैं, जिससे संघर्ष को टाला जा सके।

निष्कर्ष:

यह टकराव अब केवल सैन्य संघर्ष नहीं रहा, बल्कि इसका असर आम नागरिकों और वैश्विक राजनीति पर भी पड़ रहा है। दोनों देशों ने अब तक जिन ठिकानों को निशाना बनाया है, वे न केवल रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इससे मानवता को भी गहरी चोट पहुंची है। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो यह संघर्ष एक पूर्ण क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है।



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