भारत, एक प्राचीन सभ्यता और आधुनिक लोकतंत्र का संगम, आज वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चाहे वह आर्थिक विकास हो, वैश्विक सुरक्षा, या जलवायु परिवर्तन, भारत ने इन सभी क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति और प्रभाव को महसूस कराया है। जैसे-जैसे वैश्विक स्थिति में बदलाव आ रहा है, भारत अपनी कूटनीतिक रणनीतियों, वैश्विक साझेदारियों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संदर्भ में नए दिशा-निर्देशों को अपना रहा है। इस ब्लॉग में हम भारत की अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भूमिका और बदलते वैश्विक परिप्रेक्ष्य पर चर्चा करेंगे।
भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका
भारत की वैश्विक राजनीति में भूमिका पिछले कुछ दशकों में बहुत महत्वपूर्ण रूप से बदली है। पहले जहां भारत एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में देखा जाता था, वहीं अब यह एक प्रमुख वैश्विक अभिनेता के रूप में उभरा है। भारत के राजनीतिक, आर्थिक, और सैन्य प्रभाव ने उसे एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है।
भारत और वैश्विक कूटनीति
भारत की कूटनीति में सुधार और उसकी सक्रिय भूमिका ने इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रमुख बना दिया है। कुछ प्रमुख पहलुओं में शामिल हैं:
- संसद, संयुक्त राष्ट्र (UN) और G20
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की मांग की है और इसके लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
- G20 जैसे वैश्विक मंचों पर भारत ने अपनी कूटनीतिक ताकत को सिद्ध किया है। भारत 2023 में G20 की अध्यक्षता करता है, जो इसके वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है।
- भारत और शांति मिशन
- भारत शांति और स्थिरता की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाता है। भारतीय सेना UN शांति अभियानों का हिस्सा रही है और भारत ने हमेशा युद्ध और हिंसा के समाधान के लिए संवाद का समर्थन किया है।
- भारत और पाकिस्तान: क्षेत्रीय कूटनीति
- भारत-पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा जटिल रहे हैं, लेकिन भारत ने हमेशा कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में काम किया है। हालांकि, सीमा पर तनाव के बावजूद, भारत ने शांति और सहयोग की ओर कदम बढ़ाए हैं।
भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था
भारत की आर्थिक शक्ति में वृद्धि ने उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। भारत की मजबूत आंतरिक बाजार, युवा श्रमिक वर्ग और बढ़ती तकनीकी क्षमता ने इसे वैश्विक व्यापार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना दिया है।
- आर्थिक वृद्धि और व्यापारिक साझेदारियाँ
- भारत, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। इसके आर्थिक विकास से एशिया में व्यापारिक लिंक और अवसरों में वृद्धि हुई है।
- भारत ने अमेरिका, जापान, यूरोपीय संघ और अन्य देशों के साथ कई व्यापारिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जो उसकी वैश्विक शक्ति को मजबूत करते हैं।
- भारत-चीन आर्थिक संबंध
- चीन के साथ भारत के आर्थिक संबंध काफी गहरे हैं। व्यापार, निवेश और उद्योग में दोनों देशों के बीच तालमेल है, हालांकि राजनीतिक और सैन्य विवादों का समाधान भी अहम है।
- मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत
- ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे कार्यक्रमों के तहत भारत ने अपने उत्पादन आधार को मजबूत किया है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है।
भारत और वैश्विक सुरक्षा
भारत की बढ़ती सैन्य क्षमता और रणनीतिक साझेदारियाँ वैश्विक सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में अहम बन चुकी हैं।
- भारत और अमेरिका: सामरिक साझेदारी
- भारत और अमेरिका के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुए हैं। दोनों देशों ने एक साथ कई सैन्य समझौते किए हैं, जिसमें “LEMOA” (Logistics Exchange Memorandum of Agreement) और “COMCASA” (Communications Compatibility and Security Agreement) शामिल हैं।
- अमेरिका और भारत के बीच रक्षा सहयोग, आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष और सामरिक साझेदारी की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- भारत-रूस संबंध
- रूस के साथ भारत का पारंपरिक सहयोग भी महत्वपूर्ण है। रूस के साथ भारतीय रक्षा सहयोग और ऊर्जा क्षेत्रों में समझौतों ने दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक साझेदारी को मजबूत किया है।
- भारत और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र
- भारत ने एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी सैन्य और कूटनीतिक उपस्थिति को मजबूत किया है, खासकर दक्षिण-पूर्व एशिया, भारत-प्रशांत और समुद्र क्षेत्र में।
- “सक्चिव-भारत-प्रशांत रणनीति” के तहत भारत ने अपनी भूमिका को और भी प्रगति दी है।
भारत और जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय मुद्दों पर भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार किया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP) में सक्रिय रूप से भाग लिया है और विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्तीय सहायता की वकालत की है।
- नवीकरणीय ऊर्जा के लिए पहल
- भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य रखा है।
- भारत “अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन” की स्थापना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो वैश्विक सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्य कर रहा है।
भारत की भूमिका में आने वाली चुनौतियाँ
- राजनीतिक संघर्ष और तनाव
- भारत को चीन और पाकिस्तान के साथ राजनीतिक और सैन्य संघर्षों का समाधान करने में चुनौती आ सकती है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं।
- आर्थिक असमानताएँ
- भारत को अपनी बढ़ती अर्थव्यवस्था में आंतरिक असमानताओं और बेरोजगारी के मुद्दे से निपटना होगा।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
- जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव, जैसे बाढ़, सूखा, और समुद्र स्तर में वृद्धि, भारत के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकते हैं।
निष्कर्ष
भारत की भूमिका अंतरराष्ट्रीय राजनीति में आज पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। वैश्विक आर्थिक, सुरक्षा, और पर्यावरणीय परिप्रेक्ष्य में भारत ने एक प्रभावशाली स्थान प्राप्त किया है। हालांकि, यह चुनौतियों से मुक्त नहीं है, लेकिन भारत की कूटनीतिक क्षमता, सैन्य शक्ति, और वैश्विक साझेदारी इसे एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने के रास्ते पर अग्रसर हैं।
भारत की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति और समृद्ध भविष्य इसके सक्रिय वैश्विक नेतृत्व, स्थिरता की दिशा में काम करने और अपनी अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को मजबूत करने पर निर्भर करेगा।