भारत, एक ऐसा देश जहाँ हर धर्म, हर संस्कृति और हर पर्व को समान हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इन विविधताओं की खूबसूरती में एक चमकता हुआ रत्न है – ईद-उल-फितर।
ईद सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि संयम, आत्मशुद्धि, और भाईचारे का प्रतीक है। यह त्योहार रमज़ान के पवित्र महीने के समापन के साथ आता है और मुसलमानों के लिए यह सबसे उत्सवमय और आध्यात्मिक पर्व माना जाता है।
ईद-उल-फितर का महत्व
ईद-उल-फितर का अर्थ है “रोज़ा खोलने का त्योहार।”
रमज़ान के 29 या 30 दिनों के रोज़ों के बाद, जब चाँद दिखाई देता है, तो अगले दिन ईद मनाई जाती है।
इस दिन की शुरुआत होती है ईद की नमाज़ से, फिर होता है गले मिलना (मुबारकबाद देना) और फिर सेवईयों का मीठा स्वाद।
भारत में विविधताएं: हर शहर, हर रंग
भारत के अलग-अलग हिस्सों में ईद की अपनी-अपनी परंपराएं हैं, जो इस त्योहार को और भी खूबसूरत बनाती हैं:
1. लखनऊ (उत्तर प्रदेश) – तहज़ीब और सेवईयों की मिठास
- लखनऊ की ईद नवाबी अंदाज़ में मनाई जाती है।
- “शीर खुरमा” और “किमामी सेवईं” यहाँ के खास पकवान हैं।
- हजरतगंज और चौक की गलियाँ ईद से पहले रोशनी और खरीदारी से गुलज़ार रहती हैं।
2. हैदराबाद (तेलंगाना) – बिरयानी, अत्तर और बांग्ला
- रमज़ान में चारमीनार की रातें जागती हैं।
- ईद पर चारमीनार के आसपास के बाज़ारों में चूड़ियों और अत्तरों की धूम होती है।
- हैदराबादी दम बिरयानी और खजूर की मिठास ईद का मुख्य आकर्षण।
3. केरल (मलाबार क्षेत्र) – मस्जिदों में उमड़ा उल्लास
- यहाँ के मुस्लिम समुदाय को “मोपला” कहा जाता है।
- रमज़ान और ईद के दौरान मस्जिदों में कुरान की तिलावत और खास भोजनों का आयोजन होता है।
- मछली और नारियल आधारित व्यंजन प्रमुख होते हैं।
4. कश्मीर – सादगी और आध्यात्मिकता का संगम
- कश्मीर की ईद शांत, पर आध्यात्मिक होती है।
- नमाज़ के बाद वाज़ (धार्मिक प्रवचन) और फिर कश्मीरी वाज़वान का आनंद।
ईद के प्रमुख पकवान
ईद का ज़िक्र हो और खाने की बात न हो, ऐसा कैसे हो सकता है!
भारत में ईद पर पकने वाले स्वादिष्ट व्यंजन हैं:
- शीर खुरमा – दूध, सेवईं, खजूर, और सूखे मेवों से बनी मिठास
- बिरयानी – हर शहर की अपनी शैली: हैदराबादी, कोलकाता, लखनऊवी
- कबाब और कोरमे – ईद की दावत में खास
- फिरनी, सिवइयां, हलवा – मीठे का शानदार ताज
सांस्कृतिक एकता की मिसाल
ईद सिर्फ मुस्लिम समुदाय का पर्व नहीं रहा, बल्कि यह आज एक सांझा त्योहार बन चुका है।
हिंदू, सिख, ईसाई — सभी धर्मों के लोग अपने मुस्लिम मित्रों के घर जाकर ईद की मिठास साझा करते हैं।
यह त्योहार भारत की “एकता में विविधता” को गहराई से दर्शाता है।
परंपराएं जो अब भी जीवित हैं
- फितरा देना – ईद से पहले ज़रूरतमंदों को दान देना अनिवार्य होता है।
- ईदी – बच्चों को बड़े बुज़ुर्गों द्वारा दी जाने वाली ख़ुशियों की सौगात।
- ईद की नमाज़ – भाईचारे की सबसे बड़ी मिसाल, जब हज़ारों लोग एक साथ सजदे में झुकते हैं।
निष्कर्ष
ईद-उल-फितर, सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं, यह है पूरे रमज़ान के धैर्य, सेवा, और त्याग का जश्न। भारत में इस पर्व को हर शहर, हर घर और हर दिल में एक खास अंदाज़ में मनाया जाता है।
यह पर्व हमें सिखाता है – रहमत बाँटो, मोहब्बत फैलाओ, और इंसानियत को सबसे ऊपर रखो।