राहत की खबर: ईंधन सस्ता हुआ
अप्रैल 2025 की शुरुआत में भारतीय उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है, जब पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में ₹3 से ₹5 प्रति लीटर की कटौती की गई। यह गिरावट अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बाद देखने को मिली, जिससे देश में खुदरा ईंधन मूल्य निर्धारण पर सकारात्मक असर पड़ा है।
अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की गिरती कीमतों का असर
अभी हाल ही में ब्रेंट क्रूड की कीमतें गिरकर $65.41 प्रति बैरल पर आ गईं — जो कि पिछले चार वर्षों का सबसे निचला स्तर है। भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, को इससे आर्थिक रूप से बड़ी राहत मिली है। इससे आयात बिल कम होता है और सरकार को टैक्स रेवेन्यू में भी संतुलन बनाने में मदद मिलती है।
किन शहरों में कितना सस्ता हुआ ईंधन?
शहर | पेट्रोल (₹/लीटर) | डीज़ल (₹/लीटर) |
---|---|---|
दिल्ली | ₹93.11 (-₹3.25) | ₹85.34 (-₹2.80) |
मुंबई | ₹98.56 (-₹3.45) | ₹89.88 (-₹3.00) |
चेन्नई | ₹95.90 (-₹3.10) | ₹88.12 (-₹2.75) |
कोलकाता | ₹94.23 (-₹3.00) | ₹87.65 (-₹2.60) |
(कीमतें अप्रैल 2025 के दूसरे सप्ताह की औसत हैं)
उपभोक्ताओं की जेब पर असर
इस कटौती से न केवल आम आदमी को सीधा फायदा मिला है, बल्कि:
- परिवहन लागत में कमी
- फल-सब्जी और अनाज जैसी वस्तुओं के दामों पर सकारात्मक असर
- यात्रा, लॉजिस्टिक्स और ई-कॉमर्स सेवाओं में लागत में राहत
इससे व्यापक रूप से महंगाई पर नियंत्रण में भी मदद मिल रही है।
सरकार की भूमिका
तेल कंपनियों ने यह कटौती अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुख को देखते हुए की है, लेकिन इसमें सरकार की टैक्स नीति का भी अहम योगदान है। केंद्र सरकार ने हाल ही में उत्पाद शुल्क में कटौती नहीं की है, लेकिन राज्यों में कुछ जगह VAT घटाने की भी चर्चा हो रही है।
आगे क्या?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ब्रेंट क्रूड की कीमतें $60 प्रति बैरल के करीब बनी रहती हैं, तो आने वाले हफ्तों में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में और कटौती संभव है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मध्यम अवधि में समर्थन मिल सकता है।
निष्कर्ष
ईंधन की कीमतों में यह गिरावट भारत के उपभोक्ताओं के लिए एक स्वागत योग्य कदम है। ऐसे समय में जब घरेलू बजट महंगाई के कारण दबाव में होता है, यह राहत छोटी जरूर है, लेकिन असरदार है। अब देखने वाली बात यह होगी कि यह रुझान कितने समय तक बना रहता है।