नए साल से पहले एकनाथ शिंदे का उद्धव ठाकरे को सौगात, 2022 से पहले के पार्टी फंड पर छोड़ा दावा

महाराष्ट्र में शिवसेना और शिवसेना (यूबीटी) के बीच राजनीतिक घमासान के बीच शिंदे ग्रुप की शिवसेना ने फैसला किया है कि साल 2022 से पहले के पार्टी फंड पर शिवसेना अपना दावा नहीं करेगी. इससे विधानसभा चुनाव में पराजय और आर्थिक तंजी से जूझ रही शिवेसना (यूबीटी) को बड़ी राहत मिली है.

शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना (यूबीटी) को नए साल की सौगात दी है. पार्टी विभाजन और विधानसभा चुनाव के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रही शिवसेना UBT को शिंदे ने राहत दी है. एकनाथ शिंदे ने साल 2022 से पहले के पार्टी फंड की राशि पर दावा नहीं करने का ऐलान किया है.

शिव सेना में बगावत के बाद उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच की कड़वाहट जगजाहिर है. ये दोनों नेता हमेशा एक दूसरे पर हमलावर रहते हैं. दोनों नेता एक-दूसरे पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं.

इस राजनीतिक कटुता के बीच एकनाथ शिंदे ने एक नई मिसाल पेश की है. दरअसल, शिवसेना के विभाजन के बाद से चल-अचल संपत्ति को लेकर दोनों गुटों में रस्साकशी चल रही है. अब एकनाथ शिंदे ने एक बड़ा कदम उठाया है.

2022 से पहले के पार्टी फंड पर दावा नहीं करेंगे शिंदे

शिंदे ग्रुप की शिवसेना ने फैसला किया है कि 2022 से पहले बैंक में जमा पार्टी फंड की राशि पर दावा नहीं किया जाएगा. यानी शिवसेना (यूबीटी) 2022 से पहले की शिवसेना के नाम बैंक में जमा राशि अपने पास रख सकती है. सूत्रों के हवाले से शिंदे ग्रुप की शिवसेना ने इसकी जानकारी शिवसेना यूबीटी को दे दी है.

बता दें कि 2022 में शिवसेना में बगावत हो गई. एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 40 विधायकों को अपने साथ ले लिया और बगावत कर दी. इसके बाद शिवसेना ने पार्टी और चुनाव चिह्न पर दावा किया. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे के दावे को स्वीकार कर लिया और एकनाथ शिंदे को शिवसेना पार्टी और चुनाव चिह्न दे दिया.

आर्थिक संकट से जूझ रही है शिवसेना (यूबीटी)

वहीं, एकनाथ शिंदे ने कहा था कि वह शिवसेना की संपत्ति और बैंक में मौजूद पैसों पर दावा नहीं करेंगे. इसके मुताबिक, एकनाथ शिंदे ने 2022 से पहले शिवसेना के बैंक खाते में आए पैसे को शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे को देने का फैसला किया है.

बगावत के बाद उद्धव बाला साहेब ठाकरे की पार्टी शिव सेना आर्थिक संकट में थी. इसके चलते एकनाथ शिंदे का ये फैसला उद्धव ठाकरे के लिए बड़ी राहत होगा. एकनाथ शिंदे ने दोनों पार्टियों में राजनीतिक कड़वाहट को भुलाकर नई मिसाल कायम की है. अब उद्धव ठाकरे की पार्टी को 2022 से पहले यह रकम बैंक में मिल जाएगी.

ढाई साल पहले हुआ था विद्रोह

20 जून 2022 को एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बगावत कर दी. इसके बाद महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व करने वाले उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने थे और देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री. इसके बाद 2024 का विधानसभा चुनाव एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में लड़ा गया. इसमें महायुति को 230 सीटें मिलीं. इस बार एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री बने हैं.

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