
सुप्रीम कोर्ट का आदेश: संवेदनशीलता और विज्ञान का संतुलन
1. पहले आदेश में था कड़ा रुख
11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को उठा कर शेल्टर में रखने का आदेश जारी किया। यह निर्णय कुत्तों के काटने और रेबीज़ के बढ़ते मामलों से उत्पन्न चिंता के मद्देनजर आया था।
2. रिहाई अब हो सकती है—उपर्युक्त शर्तों के साथ
22 अगस्त को कोर्ट ने यह आदेश संशोधित कर दिया है। अब पकड़े गए आवारा कुत्तों को स्टेरिलाइज, टीकाकरण, और कीटाणुनाशन के बाद उनके मूल इलाकों में छोड़ा जा सकता है। यह परिवर्तन ABC (Animal Birth Control) नियमों के अनुरूप है।
3. क्या बदलाव हुए—5 प्रमुख बिंदु
- स्वास्थ और सुरक्षा प्राथमिकता: केवल वही कुत्तों को वापस भेजा जाएगा जो बीमारी या आक्रामक नहीं हैं—रेबीड या आक्रामक कुत्तों को अलग रखा जाएगा।
- फीडिंग ज़ोन निर्धारित: सार्वजनिक स्थानों पर भोजन देने पर पाबंदी, और इसके बजाय प्रत्येक वार्ड में विशेष फीडिंग ज़ोन बनाए जाएंगे।
- सार्वजनिक जागरूकता: मानवीय तरीके से आवारा कुत्तों का प्रबंधन और जिम्मेदार देखभाल के लिए सार्वजनिक शिक्षा को बढ़ावा।
- संवेदनशीलता और विज्ञान का संगम: जानवरों के अधिकार और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन रखने की दिशा में कोर्ट का संतुलित निर्णय—एक ‘वैज्ञानिक फैसला’।
- राष्ट्रीय नीति का संकेत: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को शामिल करते हुए एक समान राष्ट्रीय नीति तैयार करने का संकेत दिया है।
4. प्रतिक्रियाएँ और व्यापक प्रभाव
- जन समर्थन और राहत: पशु अधिकार संगठनों और आम नागरिकों ने इस निर्णय का स्वागत किया, इसे ‘दयालु’, ‘वास्तविक’ और ‘समय की मांग’ बताया।
- पॉलिटिकल और सामाजिक प्रतिक्रिया: राहुल गांधी जैसे राजनेता ने इस कदम को “प्रगतिशील” बताते हुए इसकी सराहना की है।
- ABC नियमों की वापसी: इस निर्णय के साथ 2023 के ABC नियमों को नए सिरे से महत्व मिला, जो कहते हैं कि कुत्तों को उनकी मूल जगह पर छोड़ना चाहिए, न कि हटाकर शेल्टर में रखना।