कहते हैं, “असफलता अंत नहीं होती – वह नई शुरुआत की पहली सीढ़ी होती है।”
भारत में हर साल हजारों लोग बिज़नेस शुरू करते हैं, लेकिन कुछ ही सफल हो पाते हैं। पर क्या जो गिरते हैं, वे दोबारा उठ नहीं सकते?
इस ब्लॉग में हम जानेंगे विक्रम सिंह की कहानी – एक ऐसे युवा उद्यमी की, जिसने अपने पहले बिज़नेस में सब कुछ खो दिया… लेकिन हार नहीं मानी।
पहला स्टार्टअप – और पहली बड़ी असफलता
2018 में, जयपुर के रहने वाले विक्रम ने एक फूड डिलीवरी स्टार्टअप शुरू किया। सोच थी – “ज़ोमैटो-स्विग्गी से कम में, लोकल टच के साथ सर्विस देंगे।”
शुरुआत जोश से हुई, लेकिन 8 महीने के अंदर ही बिज़नेस बंद हो गया।
कारण?
- सही मार्केट रिसर्च की कमी
- ऑपरेशनल अनुभव की कमी
- फंडिंग की ग़लत प्लानिंग
- और, जल्दबाज़ी में लिए गए फैसले
नुकसान: ₹14 लाख और आत्मविश्वास का पतन।
डिप्रेशन से डेडिकेशन तक
विक्रम बताते हैं:
“मैंने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। सोशल मीडिया डिलीट कर दिया, दोस्तों से मिलना बंद… लग रहा था कि मैं फेल हो चुका हूँ।”
लेकिन फिर एक दिन उन्होंने YouTube पर एक वीडियो देखा – “How to Learn from Failure.”
यहीं से बदलाव शुरू हुआ।
- उन्होंने अपनी गलतियाँ नोट कीं
- पढ़ाई की – बिज़नेस स्ट्रैटेजी, मार्केटिंग, ब्रांडिंग
- एक बार फिर से सोचना शुरू किया: “क्या दोबारा शुरू किया जा सकता है?”
दूसरा प्रयास – और नई शुरुआत
2020 में विक्रम ने अपने गांव से एक नया आइडिया शुरू किया – “Desi Basket”, एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जो गांव के ऑर्गेनिक उत्पाद शहरों में डिलीवर करता है।
सिर्फ़ ₹5000 की लागत से शुरुआत की गई, बिना ऑफिस, बिना टीम।
- WhatsApp और Instagram से ऑर्डर
- लोकल किसानों से डायरेक्ट सप्लाई
- COD और साप्ताहिक डिलीवरी
पहले महीने 18 ऑर्डर मिले। फिर 50। फिर 300।
2022 तक “Desi Basket” ने ₹30 लाख का टर्नओवर छू लिया।
विक्रम से सीखें – असफलता से लड़ने के 5 सबक
- गलतियाँ छुपाओ नहीं, उन्हें समझो।
- हर बार पैसा ही सबसे जरूरी नहीं होता – आइडिया और इरादा ज़रूरी है।
- नेटवर्किंग करो – लोग आपकी ताकत बन सकते हैं।
- फीडबैक लो – ग्राहकों से, दोस्तों से, मेंटर्स से।
- छोटा शुरू करो, बड़ा सोचो।
अंतिम शब्द: हार कर भी जीता जा सकता है
विक्रम की कहानी सिर्फ़ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन लाखों लोगों की है जो कभी फेल हुए, लेकिन फिर उठे।
क्योंकि असली उद्यमी वही है जो गिरने के बाद फिर से खड़ा होता है – और मुस्कुराकर कहता है:
“खेल अभी बाकी है।”