विकास को समर्थन देने की दिशा में एक कदम
अप्रैल 2025 में, भारतीय अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनमें अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक व्यापार तनाव प्रमुख हैं। इन परिस्थितियों में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव करने पर विचार कर रहा है।
अमेरिकी टैरिफ और भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयातों पर 26% का टैरिफ लगाया है, जिससे भारत की जीडीपी वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.7% अनुमानित थी, लेकिन इन टैरिफ के कारण इसमें गिरावट की संभावना बढ़ गई है।
ब्याज दरों में संभावित कटौती
इन आर्थिक चुनौतियों के जवाब में, RBI अपनी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर 6.00% करने पर विचार कर रहा है। इस कदम का उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना और बाजार में तरलता बढ़ाना है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि RBI अपनी नीति रुख को ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘समायोज्य’ कर सकता है, जिससे भविष्य में और भी कटौती की संभावना संकेतित होती है।
मुद्रास्फीति और बाजार की प्रतिक्रिया
मुद्रास्फीति की दर में हाल ही में गिरावट आई है, जिससे RBI को ब्याज दरों में कटौती करने की गुंजाइश मिलती है। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक व्यापार तनाव के कारण रुपये की विनिमय दर पर दबाव बढ़ा है, जिससे आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। बाजार सहभागियों को RBI की आगामी नीति घोषणाओं का इंतजार है, ताकि वे भविष्य की आर्थिक दिशा का अनुमान लगा सकें।
निष्कर्ष
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में संभावित कटौती का उद्देश्य आर्थिक विकास को समर्थन देना और वैश्विक व्यापार तनाव के प्रभावों को कम करना है। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि RBI मुद्रास्फीति और विनिमय दर पर पड़ने वाले प्रभावों का भी ध्यान रखे, ताकि दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित हो सके।