
15 अगस्त 1947 का दिन भारतीय इतिहास के सबसे स्वर्णिम पन्नों में दर्ज है। इस दिन भारत ने लगभग 200 वर्षों के ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आज़ादी पाई। यह केवल एक राजनीतिक घटना नहीं थी, बल्कि करोड़ों भारतीयों के संघर्ष, त्याग और बलिदान का परिणाम था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे अनगिनत नेताओं और क्रांतिकारियों ने देश को आज़ाद कराने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।
14 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को संविधान सभा में पंडित नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” दिया, जिसने देशवासियों के दिलों में एक नए भारत के निर्माण की आशा जगाई। ठीक उसी रात से भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में दुनिया के नक्शे पर उभरा। लेकिन इस आज़ादी के साथ ही विभाजन की त्रासदी भी जुड़ी थी, जिसमें लाखों लोग विस्थापित हुए और हजारों ने अपनी जान गंवाई।
पहली बार स्वतंत्र भारत का तिरंगा 15 अगस्त की सुबह राष्ट्रपति भवन (तब वायसराय हाउस) पर फहराया गया। उस दिन दिल्ली सहित पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई थी। हालांकि, राजधानी के लाल किले से झंडा फहराने की परंपरा अगले दिन, 16 अगस्त 1947 से शुरू हुई।
आज, हर साल 15 अगस्त को देशभर में ध्वजारोहण, परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। यह दिन केवल स्वतंत्रता का जश्न नहीं, बल्कि हमें यह याद दिलाने का अवसर है कि आज़ादी कितने कठिन संघर्ष के बाद मिली है। इस दिन हम न केवल अतीत को याद करते हैं, बल्कि एक मजबूत, समृद्ध और एकजुट भारत के निर्माण का संकल्प भी लेते हैं।