नई दिल्ली. देश की बीमा कंपनियों को लेकर उद्योग नियामक (आईआरडीएआई) की वार्षिक रिपोर्ट में एक चौंकानेवाला खुलासा हुआ है. इसमें बताया गया कि भारत की बीमा कंपनियों ने मार्च 2024 तक 11 फीसदी तक हेल्थ क्लेम को खारिज कर दिया है, जबकि 6 फीसदी दावे पेंडिंग हैं.
मार्च 2024 तक खत्म हुए वित्त वर्ष में बीमा कंपनियों ने 26,000 करोड़ रुपये के क्लेम को खारिज कर दिया, जिसमें पिछले साल के मुकाबले 19.10 फीसदी तक की वृद्धि हुई है. भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के मुताबिक मार्च 2023 तक खत्म हुए वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 21,861 करोड़ था.
आपको कवरेज पूरा मिले और क्लेम रिजेक्ट न हो, तो पॉलिसी खरीदने से पहले इसकी शर्तों और नियमों के बारे में अच्छे से जानें. खासकर पॉलिसी में किन बीमारियों को कवर किया जा रहा है और इसकी वेटिंग पीरियड क्या है इस पर अधिक ध्यान दें. इतना ही नहीं, पॉलिसी लेने से पहले अपने सभी जरूरी दस्तावेजों को तैयार रखें और इन्हें जमा करने से पहले अच्छे से जांच लें.
इसी के साथ अगर आपने टाइम पर प्रीमियम का भुगतान नहीं किया है और आपकी पॉलिसी लैप्स हो गई है, तो कंपनी मेडिकल कवरेज देने से इंकार कर सकती है. इसके साथ-साथ अगर आप एक निश्चित समय सीमा के अंदर क्लेम नहीं करते हैं, तब भी आपके क्लेम को रिजेक्ट कर दिया जाता है.
इस वजह से क्लेम रिजेक्ट करती है बीमा कंपनी
बीमा कंपनी किसी क्लेम को तभी रिजेक्ट करती है, जब पॉलिसीधारक पॉलिसी की शर्तों और नियमों को पूरा नहीं करता है. कई बार क्लेम महज इस वजह से रिजेक्ट कर दिया जाता है, जब आप पॉलिसी लेने से पहले अपनी बीमारियों का खुलासा नहीं करते हैं.
ऐसी स्थिति में अगर कंपनी को आपकी बीमारी के बारे में बाद में पता चलता है, तो वह आपके क्लेम को रिजेक्ट कर देती है. पॉलिसी लेने से पहले यह देख लेना जरूरी है कि आपके हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में कौन-कौन सी बीमारियां कवर हो रही हैं.