अरविंद केजरीवाल भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम है जिसने पारंपरिक राजनीतिक ढांचे को चुनौती दी और आम नागरिकों की आवाज़ को राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाया। एक आईआईटी इंजीनियर, पूर्व आईआरएस अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता और फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने तक की उनकी यात्रा संघर्ष, परिवर्तन और नवाचार की कहानी है।
इस ब्लॉग में हम अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक यात्रा, आम आदमी पार्टी (AAP) के उदय और उनकी प्रमुख उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
1. अरविंद केजरीवाल: संघर्ष और राजनीति में प्रवेश
शिक्षा और प्रशासनिक सेवा
- अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के हिसार जिले में हुआ।
- उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में अधिकारी बने।
- सरकारी सेवा के दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ काम किया और जनलोकपाल बिल की माँग उठाई।
सामाजिक कार्य और ‘परिवर्तन’ की शुरुआत
- केजरीवाल ने सरकारी सेवा छोड़कर परिवर्तन एनजीओ की स्थापना की, जो सूचना का अधिकार (RTI) के प्रचार-प्रसार में कार्यरत रहा।
- उन्हें 2006 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में उनका योगदान बढ़ता गया और उन्होंने अन्ना हजारे के साथ जनलोकपाल आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. आम आदमी पार्टी (AAP) का गठन और राजनीतिक यात्रा
आंदोलन से पार्टी तक का सफर
- 2011 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने पूरे देश में चर्चा बटोरी।
- 2012 में, अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थापना की, यह कहते हुए कि सिर्फ आंदोलन से बदलाव नहीं आएगा, बल्कि सिस्टम में जाकर बदलाव लाना होगा।
- पार्टी ने पारंपरिक राजनीतिक दलों से अलग ईमानदारी, पारदर्शिता और जनता की भागीदारी को प्राथमिकता दी।
दिल्ली की राजनीति में AAP का उभार
- 2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव: AAP ने पहली बार चुनाव लड़ा और 28 सीटें जीतकर कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई। हालाँकि, 49 दिनों में सरकार गिर गई।
- 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव: AAP ने 70 में से 67 सीटें जीतकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
- 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव: AAP ने फिर से शानदार जीत दर्ज करते हुए 62 सीटें जीतीं।
- पंजाब, गुजरात, गोवा और अन्य राज्यों में भी पार्टी ने धीरे-धीरे अपने पैर पसारने शुरू किए।
3. अरविंद केजरीवाल की प्रमुख उपलब्धियाँ
1. शिक्षा क्षेत्र में क्रांति
- सरकारी स्कूलों की दशा सुधारकर “मॉडल स्कूल” बनाए गए, जिनकी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना होती है।
- “हैप्पीनेस करिकुलम” और “देशभक्ति करिकुलम” जैसी पहल से छात्रों में नैतिक और सामाजिक मूल्यों को विकसित किया गया।
- सरकारी स्कूलों के रिजल्ट निजी स्कूलों से बेहतर होने लगे।
2. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
- मोहल्ला क्लीनिक योजना: छोटे-छोटे इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएँ मुफ्त में उपलब्ध करवाई गईं।
- सरकारी अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता सुधारी गई और मुफ्त दवाइयाँ उपलब्ध कराई गईं।
- दिल्ली के निवासियों को फ्री मेडिकल टेस्ट और इलाज की सुविधा दी गई।
3. बिजली और पानी में राहत
- दिल्ली में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी गई।
- जल बोर्ड में सुधार कर 20,000 लीटर तक मुफ्त पानी उपलब्ध कराया गया।
- पाइपलाइन बिछाकर झुग्गी-झोपड़ियों तक स्वच्छ पानी पहुँचाया गया।
4. महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण
- दिल्ली में बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा योजना लागू की गई।
- सीसीटीवी कैमरे और स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा को मजबूत किया गया।
5. भ्रष्टाचार पर लगाम
- दिल्ली में भ्रष्टाचार विरोधी हेल्पलाइन शुरू की गई, जिससे जनता खुद रिश्वतखोरी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है।
- सरकारी कार्यालयों में रिश्वतखोरी को कम करने के लिए डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा दिया गया।
6. पर्यावरण और स्वच्छता
- “रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ” अभियान से दिल्ली में प्रदूषण कम करने की कोशिश।
- ऑड-ईवन स्कीम के तहत प्रदूषण नियंत्रण की पहल।
- यमुना नदी की सफाई के लिए विशेष अभियान चलाया गया।
7. दिल्ली में रोजगार के अवसर
- दिल्ली सरकार ने रोजगार पोर्टल लॉन्च किया, जिससे हजारों युवाओं को नौकरियाँ मिलीं।
- स्टार्टअप पॉलिसी के तहत नए उद्यमियों को आर्थिक सहायता दी गई।
- IT हब और छोटे उद्योगों को बढ़ावा दिया गया।
4. आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में पकड़
1. पंजाब में जीत (2022)
- AAP ने पंजाब विधानसभा चुनाव में 92 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया और भगवंत मान मुख्यमंत्री बने।
- वहाँ भी दिल्ली मॉडल की तर्ज़ पर शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार विरोधी कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है।
2. अन्य राज्यों में विस्तार
- AAP ने गुजरात, गोवा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में चुनाव लड़ा और धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही है।
- 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी ने विपक्षी गठबंधन (INDIA) में शामिल होकर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी दावेदारी पेश की।
5. चुनौतियाँ और विवाद
- राजनीतिक दबाव और संघर्ष: बीजेपी और कांग्रेस लगातार AAP की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं।
- विवाद और गिरफ्तारियाँ: शराब नीति, फंडिंग विवाद और अन्य कानूनी मामलों में पार्टी नेताओं पर आरोप लगे हैं।
- राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना: पार्टी ने दिल्ली और पंजाब में मजबूत पकड़ बनाई है, लेकिन अन्य राज्यों में चुनौती बनी हुई है।
6. निष्कर्ष: आम आदमी से जननेता तक
अरविंद केजरीवाल ने आम नागरिकों को एक सशक्त राजनीतिक विकल्प दिया और साबित किया कि साफ-सुथरी राजनीति संभव है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली-पानी और भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों के कारण AAP ने दिल्ली और पंजाब में बड़ी सफलता हासिल की।
अब सवाल यह है कि क्या AAP राष्ट्रीय राजनीति में तीसरी बड़ी ताकत बन सकती है? क्या अरविंद केजरीवाल भारत के अगले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हो सकते हैं?
भविष्य की राजनीति में AAP और केजरीवाल की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, लेकिन यह तो समय ही बताएगा कि “आम आदमी की राजनीति” भारतीय लोकतंत्र को कितना बदल सकती है।